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ऊ [उ.] गौतम ! ऐसे (पूर्वोक्त) अनगार को ऐर्यापथिक क्रिया नहीं लगती, साम्परायिक क्रिया ! 卐 लगती है।
16. [Q. 1] Bhante ! When an ascetic moves, stands, sits or sleeps 41 without upayog (careful application of knowledge) and also handles ! __clothes, pots, blanket and ascetic-broom in the same way, is he liable of
involvement in Airyapathiki kriya (careful movement of an accomplished : ascetic or an omniscient with non-vitiating karmas) or Samparayiki kriya (activity inspired by association and passions and leading to karmic bondage) ? __[Ans.] Gautam ! Such art ascetic is liable of involvement in Samparayiki kriya and not in Airyapathiki kriya.
[प्र. २ ] से केणटेणं० ?
[उ. ] गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जति, नो संपराइया किरिया कजति। जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिन्ना भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जति, नो इरियावहिया। अहासुत्तं रियं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जति। उस्तुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जति, से णं उस्सुत्तमेव रियति। से तेणटेणं०।
[प्र. २ ] भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहा जाता है ?
[उ.] गौतम ! जिस जीव के क्रोध, मान, माया और लोभ व्युच्छिन्न (उदयावस्थारहित अथवा , क्षीण) हो गए, उसी को ऐर्यापथिकी क्रिया लगती है, उसे साम्परायिकी क्रिया नहीं लगती। किन्तु जिस ! जीव के क्रोध, मान, माया और लोभ (ये चारों) व्युच्छिन्न नहीं हुए, उसको साम्परायिकी क्रिया लगती है, ऐर्यापथिकी क्रिया नहीं लगती। सूत्र (आगम) के अनुसार प्रवृत्ति करने वाले अनगार को ऐर्यापथिकी है क्रिया लगती है और उत्सूत्र प्रवृत्ति करने वाले अनगार को साम्परायिकी क्रिया लगती है। उपयोगरहित !
गमनादि प्रवृत्ति करने वाला अनगार, सूत्रविरुद्ध प्रवृत्ति करता है। हे गौतम ! इस कारण से उसे ॐ साम्परायिकी क्रिया लगती है।
16. [Q.2] Bhante ! Why is it so?
[Ans.] Gautam ! Only that soul whose anger, conceit, deceit and greed 41 are free of the state of fruition or have been destroyed (vyuchchhinn) is y
liable of involvement in Airyapathiki kriya but not in Samparayiki kriya. But the soul whose anger, conceit, deceit and greed are not free of the state of fruition or have not been destroyed is liable of involvement in
Samparayiki kriya but not in Airyapathiki kriya. An ascetic who acts 41 according to Sutra (Agam) is liable of involvement in Airyapathiki kriya 4
and an ascetic who acts contrary to Sutra (Agam) is liable of involvement in Samparayiki kriya. An ascetic indulging in movement and other | भगवती सूत्र (२)
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Bhagavati Sutra (2) 步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步男%%%%%%%%%%%%%%马
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