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355555555555555555555555555555555555 9 भूई सुक्कं समाणं अत्थाहमतारमपोरिसियंसि उदगंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! से तुंबे तेसिं अट्ठण्हं
मट्टियालेवाणं गुरुयत्ताए भारियत्ताए सलिलतलमइवइत्ता अहे धरणितलपइट्ठाणे भवति ? हंता, भवति। ____ अहे णं से तुंबे तेसिं अट्ठण्हं मट्टियालेवाणं परिक्खएणं धरणितलमइवइत्ता उप्पिं सलिलतलपइट्ठाणे ॐ भवति ? हंता भवति। एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए निरंगणयाए गतिपरिणामेणं अकम्मस्स गती पण्णायति।
१३. [प्र. १ ] भगवन् ! निःसंगता से, नीरागता से, गतिपरिणाम से, बन्धन का छेद होने से, निरिन्धनता से और पूर्वप्रयोग से कर्मरहित जीव की गति कैसे होती है ? ॐ [उ. ] गौतम ! जैसे कोई पुरुष एक छिद्ररहित और निरुपहत (बिना फटे-टूटे) सूखे तुम्बे पर
क्रमशः परिकर्म (संस्कार) करता-करता उस पर डाभ (नारियल की जटा) और कुश लपेटे। फिर उस ॐ पर आठ बार मिट्टी के लेप लगा दे, फिर उसे (सूखने के लिए) धूप में रख दे। बार-बार (धूप में देने फ से) अत्यन्त सूखे हुए उस तुम्बे को अथाह, अतरणीय (जिस पर तैरा न जा सके), पुरुष-प्रमाण से भी
अधिक जल में डाल दे, तो हे गौतम ! वह तुम्बा मिट्टी के उन आठ लेपों से अधिक भारी हो जाने से के क्या पानी के उपरितल को छोड़कर नीचे पृथ्वीतल पर जा बैठता है ? (गौतम-) हाँ, भगवन् ! वह तुम्बा नीचे पृथ्वीतल पर जा बैठता है।
(भगवान ने पुनः पूछा-) गौतम ! (पानी में पड़ा रहने के कारण) आठों ही मिट्टी के लेपों के (गलकर) नष्ट हो जाने से क्या वह तुम्बा पृथ्वीतल को छोड़कर पानी के उपरितल पर आ जाता है ? (गौतम-) हाँ, भगवन् ! वह पानी के उपरितल पर आ जाता है। (भगवान-) हे गौतम ! इसी तरह निःसंगता (कर्ममल लेप हट जाने) से, नीरागता (रागरहित) से एवं गतिपरिणाम से कर्मरहित जीव की है भी (ऊर्ध्व) गति होती जाती है।
13. (Q. 1] Bhante ! How does a karma-free soul move due to nonassociation (nihsangata), detachment (niraagata or niranjanata), due to movement orientation (gati parinaam), destruction of bondage, absence of fuel of karmas (nirindhanata), and prior endeavour (pu prayogata)?
(Ans.) Gautam ! Suppose a person carefully anoints and wraps an intact (nirupahat) and dry gourd with coconut husk and grass. After that he plasters it eight times with clay and puts it in sun (to dry). He then throws that repeatedly dried (in sun) gourd in a more than man-height 4 deep water-body difficult to cross. Now, Gautam ! Does that gourd weighed by eight layers of clay go below the surface of water and reach the bottom ? Yes, Bhagavan ! That gourd sectles at the bottom.
(Bhagavan asked further-) Gautam ! When the eight layers of clay y get destroyed by dissolving into the water it is lying) does that gourd not
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---नानागाना
सप्तम शतक: प्रथम उद्देशक
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Seventh Shatak: First Lesson
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