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[उ.] गौतम ! ऐसा नहीं है, क्योंकि वह श्रमणोपासक उस (वनस्पति) के वध के लिए प्रवृत्त नहीं होता ।
8. [Q.] Bhante ! A shramanopasak who has already renounced violence towards plants (but has not renounced violence towards earthbodied beings); if while digging earth he happens to cut roots of some tree, Bhante, does this amount to transgression of his aforesaid vow ?
[Ans.] Gautam ! It is not so. This is because that shramanopasak does not intend to kill it (the plant).
Elaboration-There are two conditions of violence-(1) intentional violence and (2) unintentional violence. Generally a shravak (lay follower) following partial detachment abstains from violence. Therefore as long as he is not involved in intentional killing of beings he had resolved not to harm, his vow is not broken.
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श्रमणों को दान देने का लाभ BENEFITS OF DONATION TO ASCETICS
९. [प्र.] समणोवासए णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासुएणं एसणिज्जेणं असण- पाण- खाइम - साइमेणं पडिला भेमाणे किं लभति ?
विवेचन : हिंसा के दो मुख्य विकल्प हैं - ( १ ) आभोग जनित हिंसा - संकल्पपूर्वक की जाने वाली हिंसा । (२) फ 5 अनाभोग जनित हिंसा-अनजाने में होने वाली हिंसा । (समाधान) सामान्यतः देशविरति श्रावक के आभोग जनित संकल्पपूर्वक आरम्भी हिंसा का त्याग होता है, इसलिए जिन जीवों की हिंसा का उसने प्रत्याख्यान किया है, उन जीवों की संकल्पपूर्वक हिंसा करने में जब तक वह प्रवृत्त नहीं होता, तब तक उसका व्रत भंग नहीं होता ।
[उ. ] गोयमा ! समणोवासए णं तहारूवं समणं वा माहणं वा जाव पडिलाभेमाणे तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा समाहिं उप्पाएति, समाहिकारए णं तमेव समाहिं पडिलभति ।
९. [ प्र. ] भगवन् ! तथारूप (उत्तम) श्रमण एवं माहन को प्रासुक (अचित्त), एषणीय (निर्दोष) अशन, पान, खादिम और स्वादिम रूप (चतुर्विध आहार) द्वारा प्रतिलाभित करते ( विधिपूर्वक बहराते ) हुए श्रमणोपासक को क्या लाभ होता है ?
[ उ. ] गौतम ! तथारूप श्रमण या माहन को यावत् प्रतिलाभित करता हुआ श्रमणोपासक, तथारूप
श्रमण या माहन को समाधि पहुँचाता है। उन्हें समाधि प्राप्त कराने वाला श्रमणोपासक उसी प्रकार 5 समाधि को प्राप्त करता है।
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9. [Q.] Bhante ! What benefit does a shramanopasak derive by giving
卐 (following prescribed procedure) pure (achitt) and faultless (eshaniya )
भगवती सूत्र (२)
5 staple food, liquids, general food, and savoury food (ashan, paan, फ्रं
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5 khadya, svadya) to an ascetic (Shraman or Brahmin ) conforming to the 5 卐 description in Agams (tatharupa ) ?
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Bhagavati Sutra (2)
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