________________
659595955 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 555 5555 5 55 55
[उ.] गौतम ! नैरयिक तो निश्चित ही जीता है, किन्तु जो जीता है, वह नैरयिक भी होता है और अनैरयिक भी होता है ।
८. इसी प्रकार यावत् वैमानिकपर्यन्त सभी दण्डक (आलापक) कहने चाहिए ।
7. [Q.] Bhante ! Is one who lives called infernal being (nairayik) or is an infernal being called living?
[Ans.] Gautam ! As a rule an infernal being is called living but one who lives is sometimes infernal being (nairayik) and sometimes not.
8. Same statements should be repeated for all Dandaks (places of suffering) up to Vaimanik.
विवेचन : जीव द्रव्य है, चैतन्य उसका गुण है। गुण-गुणी में अविनाभाव सम्बन्ध है। नरक आदि जीव के पर्याय हैं, पर्याय के साथ अविनाभाव सम्बन्ध नहीं होता जीवन का मूल आधार आयुष्य कर्म है। कोई भी संसारी जीव आयुष्य कर्म के बिना नहीं रहता ।
Elaboration Jiva (soul) is an entity and sentience is its attribute. An object and its attributes have a perennial relationship. Infernal and other states are modes of soul and modes do not have such perennial relationship with the object.
९. [ प्र. ] भवसिद्धिए णं भंते ! नेरइए ? नेरइए भवसिद्धिए ?
[उ. ] गोयमा ! भवसिद्धिए सिय नेरइए, सिय अनेरइए । नेरतिए वि य सिय भवसिद्धिए, सिय अभवसिद्धिए ।
१०. एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं ।
९. [ प्र. ] भगवन् ! जो भवसिद्धिक होता है, वह नैरयिक होता है या जो नैरयिक होता है, वह भवसिद्धिक होता है ?
[उ. ] गौतम ! जो भवसिद्धिक (भव्य ) होता है, वह नैरयिक भी होता है और अनैरयिक भी होता है। तथा जो नैरयिक होता है, वह भवसिद्धिक भी होता है और अभवसिद्धिक भी होता है ।
१०. इसी प्रकार यावत् वैमानिकपर्यन्त सभी दण्डक (आलापक) कहने चाहिए।
9 [Q.] Bhante ! Is a bhavasiddhik (destined to be liberated ) an infernal being or is an infernal being a bhavasiddhik?
[Ans.] Gautam ! A bhavasiddhik ( destined to be liberated) can be an infernal being and some other being as well. An infernal being can be a bhavasiddhik as well as an abhavasiddhik (not destined to be liberated).
10. Same statements should be repeated for all Dandaks (places of suffering) up to Vaimanik.
छठा शतक : दशम उद्देशक
(319)
Jain Education International
0 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5
Sixth Shatak: Tenth Lesson
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org