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卐 ४. [प्र. ] भगवन् ! क्या जीव असुरकुमार है या असुरकुमार जीव है? ॐ [उ. ] गौतम ! असुरकुमार तो निश्चित ही जीव है, किन्तु जीव तो कदाचित् असुरकुमार भी होता फ़ 卐 है, कदाचित् असुरकुमार नहीं भी होता।
५. इसी प्रकार वैमानिक तक सभी दण्डक (आलापक) कहने चाहिए।
3. Bhante ! Is soul (jiva) infernal being (nairayik) or is infernal-being soul?
[Ans.] Gautam ! As a rule infernal being is soul but soul (jiva) may be # an infernal being or sometimes other than an infernal being.
4. Bhante ! Is soul (jiva) Asur Kumar (a class of divine beings) or is 卐 Asur Kumar soul ?
(Ans.] Gautam ! As a rule Asur Kumar is soul but soul (jiva) ma an Asur Kumar or sometimes not an Asur Kumar.
5. Same statement should be repeated for all Dandaks (places of + suffering) up to Vaimanik. ॐ ६. [प्र. ] जीवति भंते ! जीवे ? जीवे जीवति ?
[उ. ] गोयमा ! जीवति ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय जीवति, सिय नो जीवति।
६. [प्र. ] भगवन् ! जो जीता-प्राण धारण करता है, वह जीव कहलाता है या जो जीव है, वह ॐ जीता-प्राण धारण करता है?
[उ. ] गौतम ! जो जीता-प्राण धारण करता है, वह तो निश्चित ही जीव कहलाता है, किन्तु जो ॐ जीव होता है, वह प्राण धारण करता (जीता) भी है और कदाचित् प्राण धारण नहीं भी करता। (सिद्ध आत्मा की अपेक्षा, चूँकि वे जीव होते हुए भी द्रव्य प्राण धारण नहीं करते।)
6. (Q.) Bhante ! Is one who lives called jiva (soul) or is it soul that is _called a living being (or one possessing life force)?
(Ans.] Gautam ! As a rule one who lives is called jiva (soul) but soul is sometimes a living being and sometimes not. (This relates to Siddha who, although a soul, does not exist as a physical living being.)
७. [प्र. ] जीवति भंते ! नेरइए ? नेरइए जीवति ? [उ. ] गोयमा ! नेरइए ताव नियमा जीवति, जीवति पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए। ८. एवं दंडओ नेयव्वो जाव वेमाणियाणं।
७. [प्र.] भगवन् ! जो जीता है, वह नैरयिक कहलाता है या जो नैरयिक होता है, वह जीताॐ प्राण धारण करता है?
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भगवती सूत्र (२)
(318)
Bhagavati Sutra (2)
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