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(Gautam) Yes, Bhante ! It is so touched. (Bhagavan) Gautam ! Is it possible for some person to bring out and display (physically) those smell particles to the extant matching the size of a berry seed (Kolasthik)... and so on up to... a nit (leekh) ? (Gautam) Bhante ! That is not possible. (Bhagavan) Gautam ! In the same way it is not possible for any person to bring out and display (physically) the misery and happiness of living beings. ___सार : सुख-दुःख मानसिक संवदेन है, उन्हें पौद्गलिक पदार्थ के समान आकार देकर प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। यद्यपि उनको प्रत्यक्ष दर्शन, अनुमान और सूक्ष्म छायांक (फोटोग्राफी) द्वारा जाना जा सकता है, किन्तु आकार में नहीं बताया जा सकता।
Gist-Happiness and sorrow are feelings or psychological activities. It is not possible to display them in some physical form like matter. They can be assessed through direct perception, hypothetically or through micro-photography (or some other advanced technology) but cannot be physically shown. जीव और प्राण का स्वरूप SOUL AND LIFE-FORCE
२.[प्र. ] जीवे णं भंते ! जीवे ? जीवे जीवे ? । [उ. ] गोयमा ! जीवे ताव नियमा जीवे, जीवे वि नियमा जीवे।
२. [प्र. ] भगवन् ! क्या जीव चैतन्य है या चैतन्य जीव है ?
[उ. ] गौतम ! जीव तो नियमतः (निश्चितरूप से) जीव (चैतन्य स्वरूप है) और जीव (चैतन्य) भी निश्चितरूप से जीवरूप है।
2. (Q. ) Bhante ! Is soul (jiva) sentience (jiva) or is sentience soul ?
(Ans.] Gautam ! As a rule soul (jiva) is sentience (jiva) and also sentience is soul.
३. [प्र. ] जीवे णं भंते ! नेरइए ? नेरइए जीवे ? [उ. ] गोयमा ! नेरइए ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए। ४. [प्र. ] जीवे णं भंते ! असुरकुमारे ? असुरकुमारे जीवे ? [उ. ] गोयमा ! असुरकुमारे ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय असुरकुमारे, सिय णो असुरकुमारे।
५. एवं दंडओ णेयब्बो जाव वेमाणियाणं। ___३. [प्र. ] भगवन् ! क्या जीव नैरयिक है या नैरयिक जीव है ? __ [उ. ] गौतम ! नैरयिक तो नियमतः जीव है और जीव तो कदाचित् नैरयिक भी हो सकता है, कदाचित् नैरयिक से भिन्न भी हो सकता है।
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छठा शतक : दशम उद्देशक
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Sixth Shatak : Tenth Lesson
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