________________
85955555555555555;))))))))))))))
卐5555555555555;)))))))))))5555555555555555555
4 living beings in the whole universe (what to say of Rajagriha city) to any 41 extant as aforesaid.
[प्र. २] से केणटेणं०?
[उ. ] गोयमा ! अयं णं जंबुद्दीवे दीवे जाव-विसेसाहिए परिक्खेवेणं पन्नत्ते। देवे णं महिड्डीए जाव ॐ महाणुभागे एगं महं सविलेवणं गंधसमुग्गगं गहाय तं अवद्दालेति, तं अवदालित्ता जाव इणामेव कटु म केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हव्यमागच्छेज्जा, से नूणं ॐ गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहिं घाणपोग्गलेहिं फुडे ? ।
हता, फुडे, चक्किया णं गोयमा ! केइ तेसिं घाणपोग्गलाणं कोलट्ठियमायमवि जाव उवदंसित्तए ? णो इणढे समढे। से तेणटेणं जाव उवदंसेत्तए।
[प्र. २ ] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है ? + [उ. ] गौतम ! यह जम्बूद्वीप नाम द्वीप एक लाख योजन का लम्बा-चौड़ा है। इसकी परिधि ३ 3 लाख १६ हजार २२७ योजन १२८ धनुष, १३ : अंगुल से कुछ अधिक है। कोई महर्द्धिक यावत् 卐 महानुभाग देव एक बड़े विलेपन वाले (सुगंधित चूर्ण) गन्धद्रव्य के डिब्बे को लेकर उघाड़े और उघाड़
कर तीन चुटकी बजाए (लगभग एक सेकंड) उतने समय में उपर्युक्त जम्बूद्वीप की ११ बार परिक्रमा ॐ करके वापस शीघ्र आए तो हे गौतम ! (मैं तुमसे पूछता हूँ-) उस देव की इस प्रकार की शीघ्र गति से ऊ
गन्ध पुद्गलों के स्पर्श से यह सम्पूर्ण जम्बूद्वीप स्पृष्ट हुआ या नहीं? ॐ (गौतम-) हाँ भगवन् ! वह स्पृष्ट हो गया। (भगवान-) गौतम ! कोई पुरुष उन गन्धपुद्गलों को बेर म की गुठली जितना भी, यावत् लिक्षा जितना भी दिखलाने में समर्थ है ? (गौतम-) भगवन् ! यह अर्थ
समर्थ नहीं है। (भगवन्-) हे गौतम ! इसी प्रकार जीव के सुख-दुःख को भी बाहर निकालकर बतलाने में, यावत् कोई भी व्यक्ति समर्थ नहीं है।
[Q.2] Bhante ! Why is it so?
[Ans.] Gautam ! The length and breadth of this Jambudveep is one hundred thousand Yojans. Its circumference is slightly more than three hundred sixteen thousand two hundred twenty seven (3,16,227) Yojans,
three Kos (a linear measure equal to 2 miles), twenty eight Dhanush (a 4 linear measure equivalent to four cubits), and thirteen and a half Angul
(a linear measurement equal to the width of a finger). Suppose a god with great opulence... and so on up to... great influence takes a box of fragrant paste, removes its cover and carrying it goes around this
Jambudveep 11 times and returns within the time taken in snapping his i fingers thrice. (Now, I ask you—) Gautam ! Due to this speedy movement 4 of that god, did the smell particles of the fragrant paste touch the whole
Jambudveep or not?
卐95545555555555555555555555555555555555555
भगवती सूत्र (२)
(316)
Bhagavati Sutra (2)
www.jainelibrary.org
For Private & Personal Use Only
Jain Education International