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[Ans.] Gautam ! This is not possible. However, he is capable of doing that by acquiring external matter particles.
७. [ प्र. ] से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले० ?
[ उ. ] तं चेव, नवरं परिणामेति त्ति भाणियव्वं ।
८. [ १ ] एवं कालगपोग्गलं लोहियपोग्गलत्ताए । [ २ ] एवं कालएणं जाव सुक्किलं ।
९. एवं णीलएणं जाव सुक्किलं ।
१०. एवं लोहिएणं जाव सुक्किलं ।
११. एवं हालिएणं जाव सुक्किलं ।
७. [ प्र. ] भगवन् ! वह देव इहगत, तत्रगत या अन्यत्रगत पुद्गलों में से किन) को ग्रहण करके वैसा करने में समर्थ है ?
फ़फ़
[उ.] गौतम ! वह इहगत और अन्यत्रगत पुद्गलों को ग्रहण करके वैसा नहीं कर सकता, किन्तु तत्र (देवलोक - ) गत पुद्गलों को ग्रहण करके वैसा परिणत करने में समर्थ है। (विशेष यह है कि यहाँ 'विकुर्वित करने में' के बदले 'परिणत करने में' कहना चाहिए।)
८. [१] इसी प्रकार काले पुद्गल को लाल पुद्गल के रूप में (परिणत करने में समर्थ है। [२] इसी प्रकार काले पुद्गल के साथ यावत् शुक्ल पुद्गल तक समझना ।
९. इसी प्रकार नीले पुद्गल के साथ यावत् शुक्ल पुद्गल तक जानना ।
१०.
इसी प्रकार लाल पुद्गल को यावत् शुक्ल तक ।
११. इसी प्रकार पीले पुद्गल को यावत् शुक्ल तक (परिणत करने में) समर्थ है।
7. [Q.] Bhante ! By acquiring matter particles from which placeexisting here (ihagat), there (tatragat) or elsewhere (anyatragat) — is he capable of doing so?
[Ans.] Gautam ! He cannot do so by acquiring matter particles existing here (ihagat) and elsewhere (anyatragat) but is capable of doing so by acquiring matter particles existing there (tatragat). (instead of selfmutation transforming should be stated here).
8. [1] In the same way he is capable of transforming black matter into red matter. [2] In the same way he is capable of transforming black matter into matter with colours up to white.
9. The same should be repeated for blue matter... and so on up to ... white matter.
10. The same should be repeated for red matter... and so on up to ... white matter.
छटा शतक : नवम उद्देशक
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Sixth Shatak: Ninth Lesson
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