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छठा शतक :नवम उद्देशक SIXTH SHATAK (Chapter Six) : NINTH LESSON
CHH KARMA कर्मबन्ध के प्रकार TYPES OF KARMIC BONDAGE
१. [प्र. ] जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कइ कम्मप्पगडीओ बंधइ ? [उ. ] गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा, छबिहबंधए वा। बंधुद्देसो पण्णवणाए नेयव्यो। १. [प्र. ] भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म को बाँधता हुआ जीव कितनी कर्म-प्रकृतियों को बाँधता
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[उ. ] गौतम ! सात प्रकृतियों को बाँधता है, आठ प्रकार को बाँधता है अथवा छह प्रकृतियों को । बाँधता है। यहाँ प्रज्ञापनासूत्र का बन्ध-उद्देशक कहना चाहिए।
1. [Q.) Bhante ! While acquiring bondage of Jnanavaraniya karma (knowledge obscuring karma), how many species of karma (karmaprakriti) does a being (jiva) acquire ?
(Ans.) Gautam ! He acquires bondage of seven species, eight species $1 or six species. Here the lesson titled Bandh from Prajnapana Sutra should be quoted.
विवेचन : प्रज्ञापना सूत्रानुसार स्पष्टीकरण-जिस समय जीव का आयुष्यबन्धकाल नहीं होता, उस समय वह ज्ञानावरणीय कर्म को बाँधते समय आयुष्यकर्म को छोड़कर सात कर्मों को बाँधता है, आयुष्य के बन्धकाल में
आठ कर्मप्रकृतियों को बाँधता है, किन्तु सूक्ष्मसम्पराय गुणस्थान की अवस्था में मोहनीय कर्म और आयुकर्म को ॐ नहीं बाँधता, इसलिए वहाँ ज्ञानावरणीय कर्म बाँधता हुआ जीव छह कर्मप्रकृतियों को बाँधता है। (प्रज्ञापना पद २४, बन्धोद्देशक)
Elaboration Explanation according to Prajnapana Sutra-While acquiring bondage of Jnanavaraniya karma (knowledge obscuring karma), if it is not the proper time for acquiring bondage of ayushya karma (life-span determining karma) a living being binds seven out of y the total eight species of karma. If the time is ripe for acquiring ayushya y karma, he binds all the eight species. However, if he is at the level of 9 Sukshma Samparaya Gunasthan he does not bind Mohaniya karma (deluding karma) and Ayushya karma; therefore at that level he binds
only six species while acquiring bondage of Jnanavaraniya karma $1 (knowledge obscuring karma). (Prajnapana Sutra, Bandhoddeshak, verse 24) y
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भगवती सूत्र (२)
(306)
Bhagavati Sutra (2)
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