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२. [प्र. ] अह भंते ! कलाय-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फाव-कुलत्थ-आलिसंदग-सईणपलिमंथगमाईणं एएसिं णं धन्नाणं०?
[उ. ] जहा सालीणं तहा एयाण वि, नवरं पंच संवच्छराई। सेसं तं चेव।
२. [प्र.] भगवन् ! कलाय, मसूर, तिल, मूंग, उड़द, बाल (बालोर), कुलथ, आलिसन्दक (एक प्रकार का चंवला), सतीण (अरहर), पलिमंथक (गोल चना या काला चना) इत्यादि (धान्य पूर्वोक्त रूप से कोठे आदि में रखे हुए हों तो इन) धान्यों की (योनि कितने काल तक कायम रहती है ?)
[उ. ] गौतम ! जिस प्रकार शाली धान्य के विषय में कहा, उसी प्रकार इन धान्यों के लिए भी कहना चाहिए। विशेषता इतनी ही है कि यहाँ उत्कृष्ट पाँच वर्ष कहना चाहिए। शेष सारा वर्णन उसी तरह है।
2. (Q.) Bhante ! For how long the aforesaid capacity of pulses including Kalaaya, Masoor (a small-grained pulse; Lens esculenta), Til (sesame seed), Moong (green gram), Urad (a pulse; Phaseolus mungo), baal or Balor (a bean; Canavalia giadiata and Canavalia ensiformis). Kulath (a kind of gray or black gram; Dolichos biflorus), Aalisandak (a kind of bean), Satina or Arahar (a type of pulse; Cajamus Indicus), Palimanthak (round or black gram) lasts (if they are safely stored as aforesaid)?
(Ans.] Gautam ! As has been stated about shali or corns so should be repeated for these pulses. The only difference being that in this case the maximum period is five years. Remaining details are same.
३. [प्र.] अह भंते ! अयसि-कुसुंभग-कोदव-कंगु-वरग-रालग-कोदूसग-सण-सरिसवमूलगबीयमाईणं एएसिं णं धन्नाणं०?
[उ. ] एयाणि वि तहेव, नवरं सत्त संवच्छराई। सेसं तं चेव।
३. [प्र. ] हे भगवन् ! अलसी, कुसुम्भ, कोद्रव (कोदों) कांगणी, बरट (बंटी), राल, सण, सरसों, मूलक बीज (एक जाति के शाक के बीज) आदि धान्यों की योनि कितने काल तक कायम रहती है ?
[उ.] गौतम ! उसी प्रकार इन धान्यों के लिए भी कहना चाहिए। विशेषता इतनी ही है कि इनकी योनि उत्कृष्ट सात वर्ष तक रहती है। शेष वर्णन पूर्ववत् समझ लेना चाहिए।
3. [Q.] Bhante ! For how long the aforesaid capacity of seeds including Alasi (linseed; Linum Usita-tssium), Kusumbh, Kodrav or Kodon (Paspalum scrobiculum), Kaangani (a millet; Setaria italica), Barat or Bunty, Raal, Sarason (mustard), and Moolak beej lasts (if they are safely stored as aforesaid) ?
छठा शतक : सप्तम उद्देशक
(281)
Sixth Shatak : Seventh Lesson
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