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[3] In the two classes Gardatoya and Tushit there are seven overlord gods and a family of 7000 gods.
[4] In the remaining three classes (Avyabadh, Agneya and Risht) there are nine overlord gods and a family of 900 gods.
Verse—First pair has family of 700 gods, second pair has that of 14000 gods, third pair has that of 7000 gods, and the remaining three classes has family of 900 gods.
४१. [प्र. १ ] लोगंतियविमाणा णं भंते! किंपइट्ठिआ पण्णत्ता ?
[ उ. ] गोयमा ! वाउपइट्ठिया पण्णत्ता ।
४१. [ प्र. १ ] भगवन् ! लोकान्तिक विमान किसके आधार पर ( स्थित ) हैं ?
[ उ. ] गौतम ! लोकान्तिक विमान वायुप्रतिष्ठित (वायु के आधार पर रहे हुए) हैं।
41. [Q. 1] Bhante ! On what rest Lokantik Vimaans ?
[Ans.] Gautam ! Lokantik Vimaans rest on air.
[ २ ] एवं नेयव्यं - 'विमाणाणं पइट्ठाणं बाहल्लुच्चत्तमेव संठाणं', बंभलोयवत्तव्वया नेयव्या जाव हंता गोया ! असइ अदुवा अणंतखुत्तो, नो चेव णं देवत्ताए ।
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[ २ ] इस प्रकार - जिस तरह विमानों का प्रतिष्ठान, विमानों का बाहल्य, विमानों की ऊँचाई और विमानों के संस्थान आदि का वर्णन; जीवाभिगमसूत्र के देव - उद्देशक में ब्रह्मलोक की वक्तव्यता में कहा है, तदनुसार यहाँ भी कहना चाहिए, यावत्-हाँ, गौतम ! सभी प्राण, भूत, जीव और सत्त्व यहाँ अनेक बार और अनन्त बार पहले उत्पन्न हो चुके हैं, किन्तु लोकान्तिक विमानों में देवरूप में उत्पन्न नहीं हुए ।
[2] In the same way the details about the situation (pratishthaan), dimensions, height and structure etc. should be mentioned according to that about Brahmalok given in the chapter titled Dev in Jivabhigam Sutra... and so on up to... Gautam ! All beings (praan ), organisms (bhoot), souls (jiva), and entities (sattva) have been born many times or infinite times but never in the form of divine beings in the Lokantik Vimaans.
४२. [ प्र. ] लोगंतिगविमाणेसु लोगंतियदेवाणं भंते ! केवइयं कालं टिती पण्णत्ता ?
[ उ. ] गोयमा ! अट्ठ सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता ।
४२. [ प्र. ] भगवन् ! लोकान्तिक विमानों में देवों की कितने काल की स्थिति है ? [उ. ] गौतम ! लोकान्तिक विमानों में आठ सागरोपम की स्थिति है।
42. [Q.] Bhante! What is the life-span of gods in Lokantik Vimaans?
Bhagavati Sutra (2)
भगवती सूत्र (२)
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