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२६. [प्र. १] भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीय कर्म आहारक जीव बाँधता है या अनाहारक जीव बाँधता है?
[उ. ] गौतम ! ज्ञानावरणीय कर्म को आहारक और अनाहारक, दोनों प्रकार के जीव, कदाचित् बाँधते हैं और कदाचित् नहीं बाँधते।
[२ ] इसी प्रकार वेदनीय और आयुष्य कर्म को छोड़कर शेष छहों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए। [३] आहारक जीव वेदनीय कर्म को बाँधता है, अनाहारक भजना से बाँधता है। (इसी प्रकार) आयुष्य कर्म को आहारक भजना से बाँधता है, अनाहारक नहीं बाँधता।
26. [Q.1] Bhante ! Does an ahaarak jiva (a being capable of intake) acquire bondage of Jnanavaraniya (knowledge obscuring) karma ? Or does an anahaarak jiva (a being not capable of intake) acquire that ?
[Ans.] Gautam ! Both ahaarak jiva and anahaarak jiva sometimes acquire bondage of Jnanavaraniya karma and sometimes do not.
[2] The same is true for all six species of karmas except for Vedaniya karma (sensation producing karma) and Ayushya karma (life-span determining karma). [3] As regards Vedaniya karma, ahaarak jiva acquires bondage and anahaarak jiva sometimes acquires bondage and sometimes not. As regards Ayushya karma, ahaarak jiva sometimes acquires bondage and sometimes not, and anahaarak jiva does not. १८. सूक्ष्म द्वार EIGHTEENTH PORT : SUKSHMA (MINUTE)
२७.[प्र. १ ] णाणावरणिज्जं किं सुहुमे बंधइ, बादरे बंधइ, नोसुहुमे-नोबादरे बंधइ ? [उ. ] गोयमा ! सुहुमे बंधइ, बादरे भयणाए, नोसुहुमे-नोबादरे न बंधइ। [२ ] एवं आउगवज्जाओ सत्त वि।[ ३ ] आउए सुहुमे, बादरे भयणाए, नोसुहुमे-नोबादरे ण बंधइ।
२७. [प्र. १ ] भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म को क्या सूक्ष्म जीव बाँधता है, बादर जीव बाँधता है, अथवा नोसूक्ष्म-नोबादर जीव बाँधता है ?
[उ. ] गौतम ! ज्ञानावरणीय कर्म को सूक्ष्म जीव बाँधता है, बादर जीव भजना से बाँधता है, किन्तु नोसूक्ष्म-नोबादर (सिद्ध) जीव नहीं बाँधता। _ [२] इसी प्रकार आयुष्य कर्म को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए।
३] आयुष्य कर्म को सूक्ष्म और बादर जीव भजना से बाँधते हैं, नोबादर जीव नहीं बाँधता। - 27. [Q. 1] Bhante ! Does a sukshma jiva (minute being) acquire bondage of Jnanavaraniya karma ? Does a baadar jiva (gross being) icquire that? Or does a no-sukshma-no-baadar jiva (neither minute nor pross; Siddha) acquire that ?
छठा शतक : तृतीय उद्देशक
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Sixth Shatak : Third Lesson
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