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[उ. ] गौतम ! ज्ञानावरणीय कर्म को निचले तीन- (मनोयोगी, वचनयोगी और काययोगी) भजना से बाँधते हैं; अयोगी नहीं बाँधता ।
[२] इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । [ ३ ] वेदनीय कर्म को मनोयोगी, वचनयोगी और काययोगी बाँधते हैं; अयोगी नहीं बाँधता ।
24. [Q. 1] Bhante ! Does a manoyogi (one having mental association ) 5 acquire bondage of Jnanavaraniya (knowledge obscuring) karma? Does a vachan-yogi or kaaya yogi or ayogi (one having vocal association, or 卐 physical association or no association) acquire that?
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[Ans.] Gautam ! The first three (mano yogi, vachan-yogi and kaaya yogi) sometimes acquire bondage of Jnanavaraniya karma and sometimes do not. However, ayogi does not acquire.
[2] The same is true for all seven species of karmas except for Vedaniya karma. [3] As regards Vedaniya karma (sensation producing karma), the first three acquire bondage and ayogi does not.
१६. उपयोग द्वार SIXTEENTH PORT : UPAYOG (INVOLVEMENT)
२५. [ प्र. ] णाणावरणिज्जं किं सागारोवउत्ते बंधइ, अणागारोवउत्ते बंधइ ?
[ उ. ] गोयमा ! अट्ठसु वि भयणाए ।
२५. [ प्र. ] भगवन् ! ज्ञानावरणीय (आदि अष्टविध) कर्म को क्या साकारोपयोग वाला बाँधता है या अनाकारोपयोग वाला बाँधता है ?
[ उ. ] गौतम ! (दोनों प्रकार के जीव) आठों कर्मप्रकृतियों को भजना से बाँधते हैं।
25. [Q.] Bhante ! Does one with saakaar upayoga (cognitive involvement) acquire bondage of Jnanavaraniya (knowledge obscuring) karma? Or does one with anaakaar upayoga (perceptive involvement acquire that?
[Ans.] Gautam ! Both these types of beings sometimes acquire bondage of all the eight species of karma and sometimes do not.
१७. आहारक द्वार SEVENTEENTH PORT : AHAARAK (HAVING INTAKE)
२६. [ प्र. १ ] णाणावरणिज्जं किं आहारए बंधइ, अणाहारए बंधइ ? [ उ. ] गोयमा ! दो वि भयणाए ।
[२] एवं वेदणिज्ज - आउगवज्जाणं छण्हं । [ ३ ] वेदणिज्जं आहारए बंधति, अणाहारए भयणाए । आउगं आहारए भयणाए, अणाहारए न बंधति ।
भगवती सूत्र ( २ )
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Bhagavati Sutra (2)
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