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[ २ ] एवं आउगवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ । [ ३ ] आउए परित्तो वि अपरित्तो वि भयणाए । 5 नोपरित्तो-नो अपरित्तो न बंधइ ।
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२१. [ प्र. १ ] भगवन् ! क्या परित्त जीव ज्ञानावरणीय कर्म को बाँधता है, अपरित्त जीव बाँधता
है, अथवा नोपरित्त - नोअपरित्त जीव बाँधता है ?
[उ. ] गौतम ! परित्त जीव ज्ञानावरणीय कर्म को भजना से बाँधता है, अपरित्त जीव बाँधता है। और नोपरित्त-नो अपरित्त (सिद्ध) जीव नहीं बाँधता ।
[ २ ] इस प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए ।
[ ३ ] आयुष्यकर्म को परित्तजीव भी और अपरित्तजीव भी भजना से बाँधते हैं तथा नोअपरित्तजीव नहीं बाँधते ।
21. [Q. 1] Bhante ! Does a paritta jiva ( limited in terms of body or cycles of birth) acquire bondage of Jnanavaraniya karma ? Does an aparitta jiva (unlimited in terms of body or cycles of birth) acquire that? Or does a no-paritta-no-aparitta jiva (neither limited nor unlimited; 5 Siddha) acquire that ?
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[Ans.] Gautam ! Paritta jiva sometimes acquires bondage of Jnanavaraniya karma and sometimes does not. Aparitta jiva acquires that and no-paritta-no-aparitta jiva (Siddha) does not acquire.
१४. ज्ञानद्वार FOURTEENTH PORT : JNANA (KNOWLEDGE)
[2] The same is true for all seven species of karmas except for Ayushya karma. [3] As regards Ayushya karma, Paritta jiva and Aparitta both sometimes acquire bondage and sometimes do not. No paritta-no- फ्र aparitta jiva does not acquire.
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२२. [ प्र. १ ] णाणावरणिज्जं कम्मं किं आभिणिबोहियनाणी बंधइ, सुयनाणी०, ओहिनाणी०, मणपज्जवनाणी०, केवलनाणी बंधइ० ?
[ उ. ] गोयमा ! हेट्ठिल्ला चत्तारि भयणाए, केवलनाणी न बंधइ ।
[ २ ] एवं वेदणिज्जवज्जाओ सत्त वि । [ ३ ] वेदणिज्जं हेट्ठिल्ला चत्तारि बंधंति, केवलनाणी भयणाए ।
२२. [ प्र. ] भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म क्या आभिनिबोधिक (मति) ज्ञानी बाँधता है, श्रुतज्ञानी बाँधता है, अवधिज्ञानी बाँधता है, मनः पर्यवज्ञानी बाँधता है अथवा केवलज्ञानी बाँधता है ?
[उ. ] गौतम ! ज्ञानावरणीय कर्म को निचले चार ( आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी और मनः पर्यवज्ञानी) भजना से बाँधते हैं; केवलज्ञानी नहीं बाँधता ।
[ २ ] इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्म-प्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए। [ ३ ] वेदनीय कर्म को निचले चारों बाँधते हैं; केवलज्ञानी भजना से बाँधता है।
भगवती सूत्र (२)
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(208)
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Bhagavati Sutra (2)
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