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[ २ ] इस प्रकार वेदनीय और आयुष्य को छोड़कर शेष छह कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए। फ्र [ ३ ] वेदनीय कर्म को संज्ञी भी बाँधता है और असंज्ञी भी बाँधता है, किन्तु नोसंज्ञी नोअसंज्ञी कदाचित् 5 बाँधता है और कदाचित् नहीं बाँधता । आयुष्य कर्म को नीचे के दो-संज्ञी और असंज्ञी जीव भजना से (कदाचित् बाँधते हैं, कदाचित् नहीं) बाँधते हैं। नोसंज्ञी - नोअसंज्ञी जीव आयुष्य कर्म को नहीं बाँधते । 16. [Q. 1] Bhante! Does a sanjni (the sentient) acquire bondage of Jnanavaraniya (knowledge obscuring) karma ? Does an asanjni (the 卐 5 non-sentient) acquire that ? Or does a nosanjni-noasanjni (the not 5 5 sentient, not non-sentient) acquire that ?
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[Ans.] Gautam 卐 ! A sanjni sometimes acquires bondage of Jnanavaraniya karma and sometimes (in the detached state of mind) does not. An asanjni acquires that and a nosanjni-noasanjni does not (this is about Sayogikevali or omniscient with association, Ayogikevali or omniscient without association, and Siddha)..
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९. भवसिद्धिक द्वार NINTH PORT BHAVA SIDDHIK (WORTHY OF LIBERATION)
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[2] The same is true for all six species of karmas except for Vedaniya 5 and Ayushya karmas. [3] Regarding Vedaniya karma, the first two i. e. the sentient and the non-sentient acquire bondage. The nosanjninoasanjni (the not sentient, not non-sentient) sometimes acquire and sometimes do not. As regards Ayushya karma, the first two i. e. sanjni and asanjni sometimes acquire bondage and sometimes not. The nosanjni-noasanjni (in the mixed state) does not acquire Ayushya karma.
१७. [ प्र. १ ] णाणावरणिज्जं कम्मं किं भवसिद्धीए बंधइ, अभवसिद्धीए बंधइ, नोभवसिद्धीएनो अभवसिद्धीए बंधइ ?
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[उ. ] गोयमा ! भवसिद्धीए भयणाए, अभवसिद्धीए बंधइ, नोभवसिद्धीए - नो अभवसिद्धीए ण बंधइ ।
[ २ ] एवं आउगवज्जाओ सत्त वि । [ ३ ] आउगं हेट्ठिल्ला दो भयणाए, उवरिल्लो ण बंधइ ।
[ २ ] इस प्रकार आयुष्य कर्म को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए। [ ३ ] आयुष्य कर्म को नीचे के दो (भवसिद्धिक- भव्य और अभवसिद्धिक- अभव्य ) भजना से (कदाचित् बाँधते हैं, कदाचित् नहीं) बाँधते हैं। ऊपर का (नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक) नहीं बाँधता ।
भगवती सूत्र (२)
१७. [ प्र. १ ] भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म को क्या भवसिद्धिक बाँधता है, अभवसिद्धिक बाँधता फ है अथवा नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक बाँधता है ?
[उ. ] गौतम ! (ज्ञानावरणीय कर्म को) भवसिद्धिक जीव भजना से (सराग भवसिद्धिक) कदाचित् फ्र ( वीतराग) बाँधता है, कदाचित् नहीं बाँधता है । अभवसिद्धिक जीव बाँधता है और नोभवसिद्धिक- 5 नोअभवसिद्धिक जीव (सिद्ध आत्मा) नहीं बाँधता ।
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Bhagavati Sutra (2)
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