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reference to cycles of rebirth (samsar) beings not destined to liberation $i (abhavasiddhik jivas) are without a beginning and without an end).
४. चतुर्थ द्वार : अष्ट कर्मों की बन्धस्थिति FOURTH PORT : DURATION OF BONDAGE OF EIGHT KARMAS १०.[प्र. ] कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? [उ. ] गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-णाणावरणिज्जं, दंसणावरणिज्जं जाव अंतराइयं। १०.[प्र. ] भगवन् ! कर्मप्रकृतियाँ कितनी हैं ? [उ. ] गौतम ! कर्मप्रकृतियाँ आठ हैं, यथा-ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय यावत् अन्तराय। 10. [Q.J Bhante ! How many are karma prakritis (species of karma)?
[Ans.] Gautam ! There are eight species of karma-Jnanavaraniya (knowledge obscuring), Darshanavaraniya (perception obscuring)... and so on up to... Antaraya (energy hindering).
११. [प्र. १ ] नाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स केवइयं कालं बंधठिती पण्णत्ता ?
[उ.] गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिण्णि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिइ कम्मनिसेओ।
[२ ] एवं दरिसणावरणिज्जं पि। [३] वेदणिज्जं जहण्णेणं दो समया, उक्कोसेणं जहा नाणावरणिज्जं।
[४] मोहणिज्जं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ, सत्त य वाससहस्साणि अबाधा, अबाहूणिया कम्मठिई कम्मनिसेओ।
[५] आउगं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाणि पुवकोडि-तिभागमभहियाणि, कम्मट्टिइ कम्मनिसेओ।
[६] नाम-गोयाणं जहन्नेणं अट्ठ मुहुत्ता, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, दोण्णि य वाससहस्साणि अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिइ कम्मनिसेओ।
[७] अंतरायं जहा नाणावरणिज्ज। ११.[प्र. १ ] भगवन् ! (१) ज्ञानावरणीय कर्म की बन्धस्थिति कितने काल की है ?
[उ. ] गौतम ! ज्ञानावरणीय कर्म की बन्धस्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीस क्रोडाकोड़ी 5 सागरोपम की है। उसका अबाधाकाल तीन हजार वर्ष का है। अबाधाकाल जितनी स्थिति को कम करने से शेष कर्मस्थिति-कर्मनिषेककाल जानना चाहिए।
[२ ] इसी प्रकार दर्शनावरणीय कर्म के विषय में भी जानना चाहिए।
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भगवती सूत्र (२)
(192)
Bhagavati Sutra (2) B555555555555555555555555555555555
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