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[उ. ] हंता, गोयमा ! महाकम्मस्स तं चेव ।
२. [ प्र. १ ] भगवन् ! क्या महाकर्म वाले, महाक्रिया वाले, महाआस्रव वाले और महावेदना वाले जीव के सर्वतः - (सभी प्रदेशों से और सभी प्रकार से ) पुद्गलों का बन्ध होता है ? सर्वतः पुद्गलों का चय होता है ? सर्वतः पुद्गलों का उपचय होता है ? सदा सतत पुद्गलों का बन्ध होता है ? सदा सतत पुद्गलों का चय होता है ? सदा सतत पुद्गलों का उपचय होता है ? क्या सदा निरन्तर उसका आत्मा (सशरीर जीव) वीभत्सता में, दुर्वर्णता में, दुर्गन्धता में, दुःरसता में, दुःस्पर्शता में, अनिष्टता - (इच्छा से विपरीतरूप) में, अकान्तता - ( असुन्दरता), अप्रियता, अशुभता, अमनोज्ञता और अकमनीयता से अवांछनीयता में, अनभिध्यितता (जिसे प्राप्त करने में अरुचि हो) में, अधमता में, अनूर्ध्वता (नीचता) में, दुःखरूप में - असुखरूप में बार-बार परिणत होता है ?
[उ.] हाँ, गौतम ! महाकर्म वाले जीव के ऊपर कहे अनुसार ही आत्मा का परिणमन होता है।
2. [Q. 1] Bhante ! Do living beings with extensive karmas (mahakarmaa), extensive activity (mahakriya) and extensive influx (mahashrava) get bonded with matter particles through all space-points 5 and every way ( sarvatah ) ? Do they assimilate (chaya) matter particles through all space-points and every way (sarvatah)? Do they augment (upachaya) matter particles through all space-points and every way (sarvatah)? Do they get bonded with matter particles always and continuously ( sada-satat ) ? Do they assimilate (chaya) matter particles 5 always and continuously ( sada - satat ) ? Do they augment (upachaya ) matter particles always and continuously (sada-satat)? Does his soul (embodied soul) continue to transform time and again into grotesqueness (vibhatsata), repulsive colour (durvarnata), repulsive smell (durgandhata), repulsive taste (duhrasata), repulsive touch F (duhsparshata); into something that is anisht ( undesirable), akaant (not beautiful), apriya (not lovable), ashubha ( ignoble), amanojna (not attractive), akamaniya (not adorable ), avaanchhaniya (not covetable); abhorrence (anabhidhyatata), vileness (adhamata), abjectness (anurdhvata), and states of misery and unhappiness ?
[Ans.] Yes, Gautam ! Living beings with extensive karmas (mahakarmaa) undergo transformation as you have said.
[प्र. २] से केणट्टेणं ?
[उ.] गोयमा ! से जहानामए वत्थस्स अहयस्स वा धोयस्स वा तंतुग्गयस्स वा आणुपुब्बीए परिभुज्जमाणस्स सव्वओ पोग्गला बज्झंति, सव्वओ पोग्गला चिज्जंति जाव परिणमंति, से तेणट्टेणं ।
[प्र. २ ] (भगवन् !) किस कारण से ऐसा कहा है ?
भगवती सूत्र ( २ )
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Bhagavati Sutra (2)
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