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छठा शतक : तृतीय उद्देशक SIXTH SHATAK (Chapter Six) : THIRD LESSON
HEREC MAHASRAVA (EXTENSIVE INFLUX) संग्रहणी गाथाएँ COLLATIVE VERSES १. बहुकम्म १ वत्थपोग्गल पयोगसा वीससा य २ साइए ३।
कम्मट्ठिति-त्थि ४-५ संजय ६ सम्मद्दिट्ठी ७ य सण्णी ८ य ॥१॥ भविए ९ दंसण १० पज्जत्त ११ भासय १२ परित्त १३ नाण १४ जोगे १५ य।
उवओगा-ऽऽहारग १६-१७ सुहुम १८ चरिम १९ बंधे य, अप्पबहुं २० ॥२॥ - १. (१) बहुकर्म, (२) वस्त्र में प्रयोग से और स्वाभाविक रूप से पुद्गल, (३) सादि (आदि सहित), (४) कर्मस्थिति, (५) स्त्री, (६) संयत, (७) सम्यग्दृष्टि, (८) संज्ञी, (९) भव्य, (१०) दर्शन, (११) पर्याप्त, (१२) भाषक, (१३) परित्त, (१४) ज्ञान, (१५) योग, (१६) उपयोग, (१७) आहारक, (१८) सूक्ष्म, (१९) चरम-बन्ध, और (२०) अल्पबहुत्त्व, (इन बीस विषयों का वर्णन इस उद्देशक में किया गया है। ___ 1. (1) Bahukarma (Many Karmas), (2) Synthetic and natural matter in cloth, (3) Saadi (With a Beginning), (4) Karmasthiti (Duration of Karma), (5) Stree (Women), (6) Samyat (Restrained), (7) Samyagdrishti (Righteous), (8) Sanjni (Sentient), (9) Bhavya (Worthy of Liberation), (10) Darshan (Perception), (11) Paryapt (Fully Developed), (12) Bhashak (Capable of Speech), (13) Paritta (Limited), (14) Jnana (Knowledge), (15) Yoga (Association), (16) Upayog (Involvement), (17) Ahaarak (Having Intake), (18) Sukshma (Minute), (19) Charam (Final) and (20) Alpabahutva (Minimum-maximum). These twenty topics have been discussed in this lesson. १. प्रथम द्वार : महाकर्मा और अल्पकर्मा FIRST PORT (DVAR) : WITH MORE KARMAS AND WITH LESS KARMAS
२. [प्र. १] से नूणं भंते ! महाकम्मस्स महाकिरियस्स महासवस्स महावेदणस्स सबओ पोग्गला बझंति, सवओ पोग्गला चिज्जंति, सवओ पोग्गला उवचिजंति, सया समियं च णं पोग्गला बझंति,
मियं पोग्गला चिजति, सया समियं पोग्गला उवचिजति, सया समियं च णं तस्स आया दुरूवत्ताए दुवण्णत्ताए दुगंधत्ताए दुरसत्ताए दुफासत्ताए अणिट्टत्ताए अकंतत्ताए अप्पियत्ताए असुभत्ताए अमणुण्णत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए, अहत्ताए, नो उद्धृत्ताए, दुक्खत्ताए, नो सुहत्ताए भुज्जो भुजो परिणमइ ?
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Sixth Shatak : Third Lesson
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