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म चत्तालीस य मुहुत्ता। (७) माहिदे चउवीसं रातिदियाई, वीस य मुहुत्ता। (८) बंभलोए पंच चत्तालीसं
रातिंदियाई। (९) लंतए नउतिं रातिंदियाई। (१०) महासुक्के सर्ल्ड राइंदियसतं। (११) सहस्सारे दो म राइंदियसताई। (१२) आणय-पाणयाणं संखेज्जा मासा। (१३) आरणऽच्चुयाणं संखेज्जाइं वासाइं। एवं
(१४) गेवेज्जगदेवाणं। (१५) विजय-वेजयंत-जयंत अपराजियाणं असंखिज्जाई वाससहस्साइं। ॐ सव्वट्ठसिद्धे य पलिओवमस्स संखेज्जइभागो।
एवं भाणियव्वं-वड्टंति हायंति जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभाग; म अवट्ठियाणं जं भणियं।
१९. शेष सब जीव बढ़ते-घटते हैं, यह पहले की तरह ही कहना चाहिए। किन्तु उनके 卐 अवस्थानकाल में इस प्रकार भिन्नता है, यथा-(१) सम्मूर्छिम पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों का
(अवस्थानकाल) दो अन्तर्मुहूर्त का; (२) गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों का चौबीस मुहूर्त का, (३) सम्मूर्छिम मनुष्यों का ४८ मुहूर्त का, (४) गर्भज मनुष्यों का चौबीस मुहूर्त का, (५) वाणव्यन्तर ज्योतिष्क और सौधर्म, ईशान देवों का ४८ मुहूर्त का, (६) सनत्कुमार देवों का अठारह अहोरात्रि तथा
चालीस मुहूर्त का अवस्थानकाल है। (७) माहेन्द्र देवलोक के देवों का चौबीस रात्रि-दिन और बीस % मुहूर्त का, (८) ब्रह्मलोक देवों का ४५ रात्रि-दिवस का, (९) लान्तक देवों का ९० रात्रि-दिवस का, ॐ (१०) महाशुक्र-देवलोक के देवों का १६० अहोरात्रि का, (११) सहस्रार देवों का २०० रात्रि-दिन
का, (१२) आनत और प्राणत देवलोक के देवों का संख्येय मास का, (१३) आरण और अच्युत ॐ देवलोक के देवों का संख्येय वर्षों का अवस्थानकाल है। इसी प्रकार (१४) नौ ग्रैवेयक देवों के म (अवस्थानकाल के) विषय में जान लेना चाहिए। (१५) विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित
विमानवासी देवों का अवस्थानकाल असंख्येय हजार वर्षों का है तथा सार्थसिद्ध-विमानवासी देवों का ॐ अवस्थानकाल पल्योपम का संख्यातवाँ भाग है।
___और ये सब जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग तक बढ़ते-घटते फ़ हैं; इस प्रकार कहना चाहिए और इनका अवस्थानकाल जो ऊपर कहा गया है, वही है।
19. In the same way it should be stated as aforesaid that all the remaining beings increase and decrease (in numbers). However, the variation in their duration of remaining constant is—(1) Sammurchhim
panchendriya tiryagyonik jivas (five-sensed animals of asexual origin) ___remain constant for two Antar-muhurt (less than a Muhurt). (2) Garbhaiy
panchendriya tiryagyonik jivas (five-sensed animals born out of womb) for twenty four Muhurt. (3) Sammurchhim manushya (human beings of asexual origin) for 48 Muhurt. (4) Garbhaj manushya (human beings born out of womb) for twenty four Muhurt. (5) Vanavyantar, Jyotishk, Saudharma and Ishan Devs (Interstitial, Stellar, Saudharma and Ishan 4 gods) for 48 Muhurt. (6) Sanatkumar gods for 18 Ahoratra (days and 4 nights) and 40 Muhurt. (7) Gods of Maahendra divine realm for 244
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भगवती सूत्र (२)
(144)
Bhagavati Sutra (2)
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