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h Muhurts (48 minutes ).
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remain constant for a minimum of one Samaya and maximum of 48
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[ २ ] एवं दसविहा वि ।
[ २ ] इसी प्रकार दस ही प्रकार के भवनपतिदेवों की वृद्धि-हानि और अवस्थिति का कथन करना चाहिए।
[2] The same should be repeated for increase, decrease and remaining constant with regard to all ten kinds of abode dwelling gods (Bhavanpati Devs).
१७. एगिंदिया वडूढंति वि, हायंति वि, अवट्टिया वि । एएहिं तिहि वि जहन्नेणं एक्कं समयं 5 उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।
१७. एकेन्द्रिय जीव बढ़ते भी हैं, घटते भी हैं और अवस्थित भी रहते हैं । इन तीनों (वृद्धि - हानि - अवस्थिति) का काल जघन्यतः एक समय और उत्कृष्टतः आवलिका का असंख्यातवाँ भाग (समझना चाहिए)।
17. One sensed beings (ekendriya jivas) also increase, decrease and remain constant. The duration of these three (increase etc.) is minimum one Samaya and maximum uncountable fraction of one Avalika.
१८. [ १ ] बेइंदिया वंति हायंति तहेव अवट्ठिया, जहन्त्रेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो अंतोमुहुत्ता । [ २ ] एवं जाव चउरिंदिया ।
१८. [१] द्वीन्द्रिय जीव भी इसी प्रकार बढ़ते घटते हैं। इनके अवस्थान - काल में भिन्नता इस फ्र प्रकार है-ये जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः दो अन्तर्मुहूर्त्त तक अवस्थित रहते हैं।
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[२] द्वीन्द्रिय की तरह त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों तक (का वृद्धि - हानि - अवस्थितिकाल ) 5 कहना चाहिए।
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18. [1] Two sensed beings (dvindriya jivas) also increase and decrease f in the same way. The difference in their duration of remaining constant is-they remain constant for a minimum of one Samaya and maximum of two Antar-muhurt (less than a Muhurt).
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[2] The same (increase etc.) should be repeated for three and four फ्र sensed beings (trindriya and chaturindriya jivas).
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१९. अवसेसा सव्वे वदंति, हायंति तहेव । अवट्ठियाणं णाणत्तं इमं तं जहा - ( १ ) सम्मुच्छिम - फ्र पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं दो अंतोमुहुत्ता । (२) गब्भवक्कंतियाणं चउव्वीसं मुहुत्ता । (३) सम्मुच्छिममणुस्साणं अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता । (४) गब्भवक्कंतियमणुस्साणं चउव्वीसं मुहुत्ता । (५) वाणमंतर - जोइस - सोहम्मीसाणेसु अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता । ( ६ ) सणकुमारे अट्ठारस राइंदियाइं 5
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पंचम शतक : अष्टम उद्देशक
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Fifth Shatak: Eighth Lesson 卐
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