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(Ans.] Gautam ! Infernal beings increase for a minimum of one Samaya and maximum of uncountable fraction of Avalika (innumerable Samayas). ___[2] The same is true for the duration of decrease.
[प्र. ३ ] नेरइया णं भंते ! केवइयं कालं अवट्ठिया ? है [उ. ] गोयमा ! जहन्नेणं एगं समय, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता।
[प्र. ३ ] भगवन् ! नैरयिक कितने काल तक अवस्थित रहते हैं ?
[उ.] गौतम ! (नैरयिक जीव) जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः चौबीस मुहूर्त तक (अवस्थित रहते हैं।) ___ [Q.3] Bhante ! How long do infernal beings remain constant ?
Ans.1 Gautam ! Thev (infernal beings) remain constant for a minimum of one Samaya and maximum of twenty four Muhurt (48 minutes). 3 [४] एवं सत्तसु वि पुढवीसु 'वड्डंति, हायंति' भाणियव्वं। नवरं अवविएसु इमं नाणत्तं, तं जहाम रयणप्पभाए पुढवीए अडतालीसं मुहुत्ता, सक्करप्पभाए चोद्दस राइंदियाई, वालुयप्पभाए मासं, पंकप्पभाए
दो मासा, धूमप्पभाए चत्तारि मासा, तमाए अट्ठमासा, तमतमाए बारस मासा। म [४] इसी प्रकार सातों नरक-पृथ्वियों के जीव बढ़ते हैं, किन्तु अवस्थित रहने के काल में इस
प्रकार भिन्नता है। यथा-रत्नप्रभापृथ्वी में ४८ मुहूर्त का, शर्कराप्रभा में चौदह अहोरात्रि का, बालुकाप्रभा 卐 में एक मास का, पंकप्रभा में दो मास का, धूमप्रभा में चार मास का, तमःप्रभा में आठ मास का और तमस्तमःप्रभा में बारह मास का अवस्थान-काल है।
[4] In the same way they increase and decrease in all the seven hells but the duration of remaining constant varies as follows-In Ratnaprabha Prithvi it is 48 Muhurts, in Sharkaraprabha Prithvi it is 14
Ahoratri (days and nights), in Balukaprabha Prithvi it is one month, in 45 Pankaprabha Prithvi it is two months, in Dhoom-prabha Prithvi it is
four months, in Tamah-prabha Prithvi it is eight months and in Tamstamah-prabha Prithvi it is twelve months.
१६. [१] असुरकुमारा वि वड्डंति, हायंति, जहा नेरइया। अवट्ठिया जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अट्ठचालीसं मुहुत्ता।
१६. [१] जिस प्रकार नैरयिक जीवों की वृद्धि-हानि के विषय में कहा है, उसी प्रकार असुरकुमार देवों की वृद्धि हानि के सम्बन्ध में समझना चाहिए। असुरकुमार देव जघन्य एक समय तक है और उत्कृष्ट ४८ मुहूर्त तक अवस्थित रहते हैं।
16. [1] As has been stated about the increase and decrease of infernal beings should be repeated for Asur Kumar gods. Asur Kumar gods | भगवती सूत्र (२)
(142)
Bhagavati Sutra (2)
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