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ज [प्र. २ ] से केणटेणं जाव अपरिग्गहा ? ॐ [उ. ] गोयमा ! नेरइया णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति, सरीरा परिग्गहिया ॥
भवंति, कम्मा परिग्गहिया भवंति, सचित्त-अचित्त-मीसयाइं दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति; से तेणटेणं तं चेव।
[प्र. २ ] भगवन् ! किस कारण से वे आरम्भयुक्त एवं परिग्रह-सहित होते हैं ?
[उ. ] गौतम ! नैरयिक पृथ्वीकाय का समारम्भ करते हैं, यावत् त्रसकाय का समारम्भ करते हैं, (इसलिए वे आरम्भयुक्त हैं) तथा उन्होंने शरीर (ममत्वरूप से ग्रहण किये) हैं, कर्म (ज्ञानावरणीयादि कर्मवर्गणा के पुद्गलरूप द्रव्यकर्म तथा राग-द्वेषादिरूप भावकर्म) परिगृहीत किये हुए हैं, और सचित्त, . अचित्त एवं मिश्र द्रव्य परिगृहीत किये (ममत्वपूर्वक ग्रहण किये) हुए हैं, इस कारण से गौतम ! नैरयिक , परिग्रह-सहित हैं, किन्तु अनारम्भी और अपरिग्रही नहीं हैं।
[Q. 2] Why do you say that... and so on up to... it is not that they are without these faculties (anaarambh and aparigraha)?
(Ans.] Gautam ! Infernal beings harm or destroy (samarambh) earthbodied beings (prithvikaya)... and so on up to... mobile beings (tras-kaya) 5 (therefore they are equipped with the faculty of action). Also, they have acquired bodies (with fondness), karmas (physical, like karmic particles such as knowledge obscuring and mental, like attachment and aversion) 4 and living, non-living and mixed things (with fondness). Therefore, Gautam ! It is said that infernal beings are equipped with faculties of action (aarambh; sinful activity) and acquisition (parigraha; possession). It is not that they are without these faculties (anaarambh and aparigraha). असुरकुमार आरंभी-परिग्रही SINFUL ACTIVITY AND POSSESSIVENESS OF ASUR KUMARS
३१. [प्र. १ ] असुरकुमारा णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु अणारंभा अपरिग्गहा ? [उ. ] गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा, नो अणारंभा अपरिग्गहा।
३१. [प्र. १ ] भगवन् ! असुरकुमार क्या आरम्भ एवं परिग्रह-सहित होते हैं, अथवा अनारम्भी एवं अपरिग्रही होते हैं ? __ [उ. ] गौतम ! असुरकुमार भी सारम्भ एवं सपरिग्रह होते हैं, किन्तु अनारम्भी एवं अपरिग्रही नहीं होते।
____31. [Q. 1] Bhante ! Are the Asur Kumars equipped with faculties of faction (aarambh; sinful activity) and acquisition (parigraha; possession) for are they without these faculties (anaarambh and aparigraha)?
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|पंचम शतक : सप्तम उद्देशक
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Fifth Shatak: Seventh Lesson
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