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[उ. ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। परमाणुपुद्गल में शस्त्र नहीं चल सकता।
४. इसी तरह (द्विप्रदेशी स्कन्ध से लेकर) यावत् असंख्यप्रदेशी स्कन्ध तक समझ लेना चाहिए। (निष्कर्ष यह है कि एक परमाणु से असंख्यप्रदेशी स्कन्ध तक शस्त्र से छिन्न भिन्न नहीं होता, क्योंकि कोई भी शस्त्र इसमें प्रविष्ट नहीं हो सकता।)
3. [Q. 1] Bhante ! Can paramanu-pudgal (ultimate particle of matter) accommodate itself (avagahana) on the edge of a sword or a razor?
[Ans.] Yes, it can accommodate.
[Q. 2] Bhante ! Can the paramanu-pudgal (ultimate particle of matter) accommodated on that edge get cut into two (chhedan) or more pieces (bhedan) (by that edge) ?
[Ans.] Gautam ! That is not correct. No weapon is effective on paramanu-pudgal (ultimate particle of matter).
4. The same holds good for (aggregates of two ultimate particles)... and so on up to... aggregate of innumerable ultimate particles. (Conclusion is that no weapon can subdivide a single ultimate particle or aggregates of up to innumerable ultimate particles because there is no weapon that can penetrate these.)
५. [प्र. १ ] अणंतपदेसिए णं भंते ! खंधे असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा ? [उ. ] हंता, ओगाहेज्जा।
५. [प्र. १ ] भगवन् ! क्या अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तलवार की धार पर या क्षुरधार पर अवगाहन कर सकता है?
[उ. ] हाँ, गौतम ! वह कर सकता है।
5. [Q. 1] Bhante ! Can an aggregate of infinite paramanu-pudgals (ultimate particles of matter) accommodate itself (avagahana) on the edge of a sword or a razor?
[Ans.] Yes, it can accommodate. [प्र. २ ] से णं तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ? [ उ. ] गोयमा ! अत्थेगइए छिज्जेज्ज वा, अत्थेगइए नो छिज्जेज वा नो भिज्जेज वा।
[प्र. २ ] भगवन् ! क्या तलवार की धार या क्षुरधार पर रहा हुआ अनन्तप्रदेशी स्कन्ध छिन्न या भिन्न हो सकता है ? _ [उ. ] गौतम ! कोई अनन्तप्रदेशी स्कन्ध छिन्न-भिन्न हो जाता है, और कोई छिन्न-भिन्न नहीं होता है।
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भगवती सूत्र (२)
(102)
Bhagavati Sutra (2)
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