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मन से) उन्हें संयम पालन में सहायता करते हुए आचार्य और उपाध्याय, कितने भव (जन्म) ग्रहण क करके सिद्ध होते हैं, यावत् सर्व दुःखों का अन्त करते हैं ? E [उ. ] गौतम ! कितने ही आचार्य-उपाध्याय उसी भव से सिद्ध होते हैं, कितने ही दो भव ग्रहण म करके सिद्ध होते हैं, किन्तु तीसरे भव का अतिक्रमण नहीं करते।
19. [Q.] In how many births the acharyas and upadhyayas, who teach their disciples and help them follow ascetic-discipline without any reservations (or happily) in their respective fields, become Siddhas... and so on up to... end all misery?
[Ans.] Gautam ! Some of the acharya-upadhyayas become Siddhas in u that very birth and some do so after two births but in no case they go beyond the third birth. मिथ्यादोषारोपणकर्ता के दुष्कर्मबन्ध BONDAGE OF ACCUSERS
२०. [प्र. ] जे णं भंते ! परं अलिएणं असंतएणं अब्भक्खाणेणं अब्भक्खाति तस्स णं कहप्पगारा कम्मा कजंति ? 3 [उ. ] गोयमा ! जे णं परं अलिएणं असतंएणं अब्भक्खाणेणं अब्भक्खाति तस्स णं तहप्पगारा चेव कम्मा कज्जंति, जत्थेव णं अभिसमागच्छति तत्थेव णं पडिसंवेदेति, ततो से पच्छा वेदेति। सेवं भंते ! २ त्ति।
॥ पंचमसए : छट्ठो उद्दसेओ समत्तो ॥ २०. [प्र.] भगवन् ! जो दूसरे पर सद्भूत का अपलाप (सत्य को छिपाना) और असद्भूत , (असत्य) का आरोप करके असत्य मिथ्यादोषारोपण (अभ्याख्यान) करता है, उसे किस प्रकार के कर्म बँधते हैं।
[उ . ] गौतम ! जो दूसरे पर सद्भूत का अपलाप और असद्भूत का आरोपण करके मिथ्या दोष लगाता है, उसके उसी प्रकार के कर्म बँधते हैं। वह जिस योनि में उत्पन्न होता है, वहाँ उन कर्मों को वेदता (भोगता) है और वेदन करने के पश्चात् उनकी निर्जरा करता है। ___ “हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कहकर यावत् गौतम स्वामी विचरने लगे।
20. (Q.) Bhante ! What sort of karmas does the person who distorts y i truth, makes false accusations and puts false blames on others acquire ? 4 ___[Ans.] Gautam ! The person who distorts truth, makes false accusations and puts false blames on others acquires same sort of y karmas (entailing similar accusations and blames). In whichever genus 4
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पंचम शतक: छठा उद्देशक
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Fifth Shatak : Sixth Lesson
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