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________________ [२] जिन जीवों के शरीरों से वह धनुष बना (निष्पन्न हुआ) है, वे जीव भी पाँच क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैं। [2] The beings from whose bodies that bow has been made are also liable of involvement in all the five activities. ११. एवं धणुपुढे पंचहि किरियाहिं। जीवा पंचहिं। ण्हारू पंचहि। उसू पंचहिं। सरे पत्तणे फले ण्हारू पंचहि। ११. इसी प्रकार धनुष की पीठ भी पाँच क्रियाओं से स्पृष्ट होती है। जीव (डोरी) पाँच क्रियाओं से, ण्हारू (स्नायु) पाँच क्रियाओं से एवं बाण पाँच क्रियाओं से तथा शर, पत्र, फल और ण्हारू भी पाँच क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैं। 11. In the same way the body of the bow is also liable of involvement in all the five activities. Also liable of involvement are the bow-string (jiva) or catgut (nharu) in five, arrow in five and (its components) rod (shar), feathers (patra), blade or tip (phal) and catgut (nharu), each in five. १२. [प्र.] अहे णं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए, भारियत्ताए, गुरुसंभारियत्ताए अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाई जाव जीवियओ ववरोवेइ, तावं च णं से पुरिसे कतिकिरिए ? [उ. ] गोयमा ! जावं च णं से उसू अप्पणो गुरुययाए जाव ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढें। जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए ते वि जीवा चउहि किरियाहिं। धणुपुढे चाहिं। जीवा चउहिं। हारू चाहिं। उसू पंचहिं। सरे, पत्तणे, फले ण्हारू पंचहिं। जे वि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे चिटुंति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। १२. [प्र. ] भगवन् ! जब वह बाण अपनी गुरुता से, अपने भारीपन से, अपनी गुरुसंभारता से स्वाभाविक रूप-(विस्रसा प्रयोग) से नीचे गिर रहा हो, तब (ऊपर से नीचे गिरता हुआ) वह (बाण) (बीच मार्ग में) प्राण, भूत, जीव और सत्त्व को जीवन से रहित कर देता है। तब उस बाण फैंकने वाले पुरुष को कितनी क्रियाएँ लगती हैं ? ___ [उ. ] गौतम ! जब वह बाण अपनी गुरुता आदि से नीचे गिरता हुआ, यावत् जीवों को जीवनरहित कर देता है, तब वह (बाण फैंकने वाला) पुरुष कायिकी आदि चार क्रियाओं से स्पृष्ट होता है। जिन जीवों के शरीर से धनुष बना है, वे जीव भी चार क्रियाओं से, धनुष की पीठ चार क्रियाओं से; जीवा (डोरी) चार क्रियाओं से, आहारू चार क्रियाओं से, बाण पाँच क्रियाओं से, तथा शर, पत्र, फल और आहारू पाँच क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैं। नीचे' गिरते हुए बाण के अवग्रह (घेरे) में जो जीव आते हैं, वे जीव भी कायिकी आदि पाँच क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैं। ____12. [Q.JBhante ! When that arrow with its mass, with its weight and with its mass and weight is falling downwards in its natural course then it (arrow) hits some praan (two to four sensed beings), bhoot (plant पंचम शतक : छठा उद्देशक (89) Fifth Shatak : Sixth Lesson 55555555555555555555555555555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002903
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages654
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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