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555555555555555555555555555555555555 ॐ लेस्सेइ संघाएइ संघट्टेइ परितावेइ किलामेइ, ठाणाओ ठाणं संकामेइ, जीविआओ ववरोवेइ, तए णं भंते !
से पुरिसे कतिकिरिए ? म [उ. ] गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे धणुं पुरामुसइ परामुसित्ता जाव उब्विहइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए, पंचहि किरियाहिं पुढें।
१०. [प्र. १ ] भगवन् ! कोई पुरुष धनुष को स्पर्श करता है, धनुष का स्पर्श करके बाण को स्पर्श करता है, बाण का स्पर्श करके (धनुष से बाण फैंकने के) स्थान पर से आसनपूर्वक बैठता है, उस
स्थिति में बैठकर फैंके जाने वाले बाण को कान तक आयत करें-खींचे, खींचकर ऊँचे आकाश में बाण ॥ म फैकता है। ऊँचे आकाश में फैंका हुआ वह बाण, वहाँ आकाश में जिन प्राण, भूत, जीव और सत्त्व को है
सामने आते हुए मारे, उन्हें सिकोड़ दे, अथवा उन्हें ढक दे, उन्हें परस्पर श्लिष्ट कर (चिपका) दे, उन्हें ॐ परस्पर संहत (एकत्रित) करे, उनका संघट्टा-जोर से स्पर्श करे, उनको परिताप-संताप (पीड़ा) दे, उन्हें ॥ + क्लान्त करे-थकाए, हैरान करे, एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकाए, एवं उन्हें जीवन से रहित कर
दे, तो हे भगवन् ! उस पुरुष को कितनी क्रियाएँ लगती हैं ? म [उ. ] गौतम ! वह पुरुष धनुष का स्पर्श करके धनुष को ग्रहण करता यावत् बाण को फेंकता है,
वह पुरुष कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, परितापनिकी और प्राणातिपातिकी, इन पाँच क्रियाएँ से ऊ स्पृष्ट होता है। अर्थात् उसे पाँचों क्रियाएँ लगती हैं।
10. [Q. 1] Bhante ! Suppose a person touches a bow, having picked it he touches an arrow, having picked it he sits in the correct posture (to shoot the arrow), having sat (and set the arrow on the bow-string) he draws the arrow to his ear, and having drawn the arrow he shoots it in the sky. The arrow so launched in the sky hits some praan (two to four sensed beings), bhoot (plant bodied beings), jiva (five sensed beings), and
sattva (immobile beings); and makes them flinch or enshrouds them or 4 makes them stick or cluster together or smacks them and tortures them, 41 exhausts them, torments them, chases them from one place to another 卐 and deprives them of their life. In such case, Bhante ! In how many activities that person is liable to be involved ?
[Ans.) Gautam ! That person who touches a bow... and so on up to... 4 shoots the arrow in the sky is touched by (liable of involvement in) all
the five activities, namely kaayiki (physical activity), aadhikaraniki (activity of collecting instruments of violence), praadveshiki (activity of harbouring aversion), paaritapaniki (activity of inflicting pain) and pranatipatiki (activity of killing a living being). __ [२] जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो धणू निव्वत्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढें।
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| भगवती सूत्र (२)
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Bhagavati Sutra (2)
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