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weak bondage into those having strong bondage; those having short duration into those having long duration; those having low intensity into those having high intensity; and those having less space-points into 15 those having more space-points. He sometimes acquires the bondage of ayu-karma and sometimes not. He also continues to acquire și asatavedaniya karma (karma causing pain) and move around in the endless, infinite, extended forest of cycles of rebirth having four genuses. Gautam ! For this reason an asamurit ascetic does not get perfected (Siddha), ... and so on up to... end all miseries.
[प्र. २ ] संवुडे णं भंते ! अणगारे सिज्झति ५ ? [उ. ] हंता, सिज्झति जाव अंतं करेति।
[प्र.] से केणटेणं भंते ! __[उ.] गोयमा ! संवुडे अणगारे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ घणियबंधणबद्धाओ सिढिलबंधणबद्धाओ पकरेति, दीहकालद्वितीयाओ हस्सकालद्वितीयाओ पकरेति, तिवाणुभागाओ मंदाणुभागाओ पकरेति, बहुपएसग्गओ अप्पपएसग्गओ पकरेति, आउयं च णं कम्मं न बंधति, अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं नो भुज्जो भुज्जो उवचिणाति, अणाईयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं वीतीवयति। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-संवुडे अणगारे सिज्झति जाव अंतं करेति।
[प्र. २ ] भगवन् ! क्या संवृत अनगार सिद्ध होता है, यावत् सब दुःखों का अन्त करता है? [उ. ] हाँ, गौतम ! वह सिद्ध हो जाता है, यावत् सब दुःखों का अन्त करता है।
[प्र. ] भगवन् ! वह किस कारण से सिद्ध हो जाता है ? _[उ. ] गौतम ! संवृत अनगार आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष गाढ़बन्धन से बँधी सात कर्मप्रकृतियों को शिथिलबन्धन वाली कर देता है; दीर्घकालिक स्थिति वाली कर्मप्रकृतियों को ह्रस्व (थोड़े) काल की स्थिति वाली कर देता है, तीव्र रस (अनुभाव) वाली प्रकृतियों को मन्द रस वाली कर देता है; 9 बहुतप्रदेश वाली प्रकृतियों को अल्पप्रदेश वाली कर देता है और आयुष्यकर्म को नहीं बाँधता। वह
असातावेदनीय कर्म का बार-बार उपचय नहीं करता, (अतएव वह) अनादि-अनन्त दीर्घमार्ग वाले + चतुर्गति रूप संसार-अरण्य को पार कर जाता है। इस कारण से, गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि संवृत अनगार सिद्ध हो जाता है, यावत् सब दुःखों का अन्त कर देता है।
(Q. 2] Bhante ! Does an ascetic who has blocked the inflow of karmas 4 (samvrit) gets perfected (Siddha)... and so on up to... ends all miseries?
[Ans.) Yes, Gautam ! He gets perfected (Siddha)... and so on up to... ends all miseries.
[Q.] Bhante ! What is the reason for that ?
भगवतीसूत्र (१)
(44)
Bhagavati Sutra (1)
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