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१६. गाहा-इत्थी असी पडागा जण्णोवइए य होइ बोद्धव्वं । पल्हत्थिय पलियंके अभियोगविकुब्वणा मायी॥१॥ (संग्रहणी गाथा)
॥ तइए सए : पंचमो उद्देसो समत्तो ॥ १६. संग्रहणी गाथा का अर्थ-स्त्री, असि (तलवार), पताका, यज्ञोपवीत (जनेऊ), पल्हथी, पर्यंकासन; इन सब रूपों के अभियोग और विकुर्वणा-सम्बन्धी वर्णन इस (पंचम) उद्देशक में है तथा ऐसा कार्य (अभियोग तथा विकुर्वणा का प्रयोग) मायी करता है, यह भी बताया गया है।
तृतीय शतक : पंचम उद्देशक समाप्त ॥ 16. Collative verse-This (fifth) lesson contains description of transformation into and acquisition of forms including woman, sword, flag, sacred thread and postures (folded legs and Paryank). Also included is the information that all these acts are performed by a maligned ascetic.
• END OF THE FIFTH LESSON OF THE THIRD CHAPTER •
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Bhagavati Sutra (1)
भगवतीसूत्र (१) %%%%% %%%%
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