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5. [Q.] Bhante ! Is a vayukaya (air-bodied being) capable of transmuting (vikurvana) into the following forms-a giant woman or + man, elephant, vehicle, yugya (a cart drawn by some one), gilli (howdah
on an elephant), thilli (chariot or buggy), shivika (palanquin), or 卐 syandamanika (large palanquin)? ।
(Ans.) Gautam ! It is not possible. However, if at all an air-bodied 5 being does transmute it take the form of a large banner or flag.
६.[प्र. १ ] पभूणं भंते ! वाउकाए एगं महं पडागासंठियं रूवं विउव्वित्ता अणेगाइं जोयणाई गमित्तए ? [उ. ] हंता, पभू। [प्र. २ ] से भंते ! कि आयडीए गच्छइ, परिडीए गच्छइ ? [उ. ] गोयमा ! आयडीए गच्छइ, णो परिडिए गच्छइ। जहा आयडीए एवं चेव आयकम्मुणा वि, आयप्पओगेण वि भाणियव्वं । [प्र. ३ ] से भंते ! किं ऊ सिओदयं गच्छइ, पयओदयं गच्छइ ? [उ. ] गोयमा ! ऊसिओदयं पि गच्छइ, पयओदयं पि गच्छइ। [प्र. ४ ] से भंते ! किं एगओ पडागं गच्छइ, दुहओ पडागं गच्छइ ? [उ. ] गोयमा ! एगओ पडागं गच्छइ, नो दुहओ पडागं गच्छइ। [प्र. ५ ] से णं भंते ! कि वाउकाए पडागा ? [उ. ] गोयमा ! वाउकाए णं से, नो खलु सा पडागा।
६. [प्र. १] भगवन् ! क्या वायुकाय एक बड़ी पताका के आकार जैसे रूप की विकुर्वणा करके ॐ अनेक योजन तक गमन करने में समर्थ है ?
[उ. ] हाँ, समर्थ है ? __[प्र. २ ] भगवन् ! क्या वह (वायुकाय) अपनी ही ऋद्धि (शक्ति) से गति करता है अथवा पर की ॐ ऋद्धि (शक्ति) से गति करता है ?
[उ.] गौतम ! वह अपनी ऋद्धि से गति करता है, पर की ऋद्धि से गति नहीं करता। ज जैसे वायुकाय आत्म-ऋद्धि से गति करता है, वैसे वह आत्म-कर्म (अपने कर्म) से एवं आत्मप्रयोग (अपनी क्रिया) से भी गति करता है, यह कहना चाहिए।
[प्र. ३ ] भगवन् ! क्या वह वायुकाय उच्छ्रित पताका (ऊँची-उठी हुई ध्वजा) के आकार से गति करता है, या पतित-(पड़ी हुई) पताका के आकार से गति करता है ?
[उ. ] गौतम ! वह उच्छ्रित पताका और पतित पताका, इन दोनों के आकार से गति करता है।
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भगवतीसूत्र (१)
(462)
Bhagavati Sutra (1)
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