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[Ans.] Gautam ! What has been said about a god should be repeated here for a goddess.
३. [ प्र.] अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देवं सदेवीयं वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पासइ ?
[ उ. ] गोयमा ! अत्थेगइए देवं सदेवीयं पासइ, नो जाणं पासइ । एएणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा। ३. [ प्र. ] भगवन् ! भावितात्मा अनगार, वैक्रियसमुद्घात से समवहत तथा यानरूप से जाते हुए, देवी सहित देव को जानता देखता है ?
[ उ. ] गौतम ! कोई (भावितात्मा - अनगार) देवी सहित देव को तो देखता है, किन्तु यान को नहीं देखता; इत्यादि पूर्वसूत्र के अनुसार चार भंग कहने चाहिए।
3. [Q.] Bhante ! Does a sagacious ascetic (Bhaavitatma Anagar) see and know a god going with goddess in a celestial vehicle (yaan) created by his power of transmutation (Vaikriya Samudghat)?
एवं जाव पुष्पेण समं बीयं संजोएयव्वं । एवं मूलेणं बीजं संजोएयव्वं । एवं कंदेण वि समं संजोएयव्वं जाव बीयं । एवं जाव पुप्फेण समं बीयं संजोएयव्वं ।
[प्र. ३] अणगारे णं भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं फलं पासइ बीयं पासइ ? [ उ. ] चउभंगो।
आन्तरिक भाग को देखता है अथवा अनुसार चार भंग कहने चाहिए ।
४. [ प्र. १ ] भगवन् ! भावितात्मा अनगार क्या वृक्ष
(केवल) बाह्य भाग को देखता है ? [ उ. ] यहाँ भी पूर्वसूत्र के
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[Ans.] Gautam ! (1) Some ascetic sees the god and goddess but not the vehicle; and so on, the four alternatives should be repeated as aforesaid. ४. [ प्र. १ ] अणगारे णं भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं अंतो पासइ, बाहिं पासइ ? [ उ. ] चउभंगो । [प्र. २ ] एवं किं मूलं पासइ, कंदं पासइ ? [ उ. ] चउभंगो । मूलं पासइ खंधं पासइ ? चउभंगो। 5 एवं मूलेणं बीजं संजोएयव्वं । एवं कंदेण वि समं संजोयएयव्वं जाव बीयं ।
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[प्र. २ ] इसी तरह क्या वह (केवल ) मूल को देखता है, (अथवा ) कन्द को (भी) देखता है ? तथा क्या वह (केवल) मूल को देखता है, अथवा स्कन्ध को (भी) देखता है ? [ उ. ] गौतम ! (दोनों प्रश्नों उत्तर में चार-चार भंग पूर्ववत् कहने चाहिए।
इसी प्रकार मूल के साथ बीज का संयोजन करके (पूर्ववत् पृच्छा करके उत्तर के रूप में) चार भंग कहने चाहिए। तथा कन्द के साथ यावत् बीज तक (संयोगी चतुर्भंग) का संयोजन कर लेना चाहिए। इसी तरह यावत् पुष्प के साथ बीज (के संयोगी - असंयोगी चतुर्भग) का संयोजन कर लेना चाहिए।
[प्र. ३ ] भगवन् ! क्या भावितात्मा अनगार वृक्ष के (केवल) फल को देखता है, अथवा बीज को (भी) देखता है ? [ उ. ] गौतम ! (पूर्वोक्त प्रकार से) चार भंग कहने चाहिए।
तृतीय शतक : चतुर्थ उद्देशक
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***த******மிழழதமிழமிமிமிததமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிழக
Third Shatak: Fourth Lesson
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