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________________ 卐 5555 फ्र 卐 [ उ. ] गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए सीहे सीहे चेव, तुरिए तुरिए चेव । उड्डुं गतिविसए अप्पे अप्पे चेव, मंदे मंदे चेव । वेमाणियाणं देवाणं उडुं गतिविसिए सीहे सीहे चेव, तुरिते तुरिते चेव । अहे गतिविसए अप्पे अप्पे चेव, मंदे मंदे चेव । जावइयं खेत्तं सक्के देविंदे देवराया उड्डुं उप्पति एक्केणं समएणं, तं वज्जे दोहिं, जं वज्जे दोहिं तं चमरे तीहिं । सव्वत्थोवे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उड्डलोयकंडए, अहेलोयकंडए संखेज्जगुणे । जावइयं खेत्तं चमरे असुरिंदे असुरराया अहे ओवयति एक्केणं समएणं, तं सक्के दोहिं, जं सक्के दोहिं तं वज्जे तीहिं, सव्वत्थोवे चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो अहेलोयकंडए, उड्डलोयकंडए संखेज्जगुणे । एवं खलु गोयमा ! सक्केणं देविंदेणं देवरण्णो चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचाइए साहत्थि गेण्हित्तए । ३४. [ प्र. ] भगवन् ! महर्द्धिक देव पीछा करके फैंके हुए पुद्गल को पकड़ने में समर्थ है, तो देवेन्द्र देवराज शक्र अपने हाथ से असुरेन्द्र असुरराज चमर को क्यों नहीं पकड़ सका ? [उ.] गौतम ! असुरकुमार देवों का नीचे गमन का विषय ( शक्ति - सामर्थ्य) शीघ्र - शीघ्र और त्वरित - त्वरित होता है, और ऊर्ध्वगमन विषय अल्प- अल्प तथा मन्द मन्द होता है, जबकि वैमानिक देवों का ऊँचे जाने का विषय शीघ्र शीघ्र तथा त्वरित-त्वरित होता है और नीचे जाने का विषय अल्पअल्प तथा मन्द मन्द होता है। एक समय में देवेन्द्र देवराज शक्र जितनी दूर ऊपर जा सकता है, उतनी दूर ऊपर जाने में वज्र कों दो समय लगते हैं और ऊपर जाने में चमरेन्द्र को तीन समय लगते हैं। (अर्थात् ) देवेन्द्र देवराज शक्रं का ऊर्ध्वलोककण्डक (ऊपर जाने में लगने वाला कालमान) सबसे थोड़ा है, और अधोलोककण्डक उसकी अपेक्षा संख्येयगुणां है। एक समय में असुरेन्द्र असुरराज चमर जितना नीचा जा सकता है, उतना ही नीचा जाने में शक्रेन्द्र को दो समय लगते हैं और उतना ही क्षेत्र नीचा जाने में वज्र को तीन समय लगते हैं । (अर्थात्- ) असुरेन्द्र असुरराज चमर का अधोलोककण्डक (नीचे गमन का कालमान) सबसे थोड़ा है और ऊर्ध्वलोककण्डक (ऊँचा जाने का कालमान) उससे संख्येयगुणा है। इस कारण से गौतम ! देवेन्द्र देवराज शक्र, अपने हाथ से असुरेन्द्र असुरराज चमर को पकड़ने में समर्थ न हो सका। 34. [Q.] Bhante ! When highly endowed gods are capable of chasing and retrieving thrown matter, why could Shakrendra, the overlord of gods, not capture Chamarendra, the overlord (Indra) of Asurs, with his own hands? [Ans.] Gautam ! The speed of the downward movement of Asur Kumar Devs undergoes continued acceleration and that of upward movement undergoes continued deceleration; whereas the speed of the तृतीय शतक: द्वितीय उद्देशक Third Shatak: Second Lesson Jain Education International ( 431 ) For Private & Personal Use Only 55 फफफफफफफफफफफफ फ्र www.jainelibrary.org
SR No.002902
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2005
Total Pages662
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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