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compartments... and so on up to... got cooked and offered his kinfolk large quantities of ashan, paan, khadya, svadya etc. After that, in their presence he blessed his eldest son with the status of head of the family. Then after seeking permission from them, tonsuring his head and
carrying that bowl, he resolved to accept the Danama initiation Si (pravrajya)... and so on up to... accepted initiation accordingly.
२०. पव्वइए वि य णं समाणे तं चेव, जाव आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता समयेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहं गहाय बेभेले सन्निवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडेत्ता ‘ज मे पढमे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं पंथेपहियाणं दलइत्तए। जं मे दोच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं काक-सुणयाणं दलइत्तए। जं मे तच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं मच्छ-कच्छभाणं
दलइत्तए। जं मे चउत्थे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं अप्पणा आहारं आहारित्तए' त्ति कटु एवं संपेहेइ।। म संपेहित्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए तं चेव निरवसेसं जाव जं से चउत्थे पुडए पडइ तं अप्पणा आहारं आहारेइ।
२०. प्रव्रजित होकर उसने तामली तापस की तरह सब प्रकार से तपश्चर्या की, आतापना भूमि में ॐ आतापना लेने लगा, इत्यादि सब कथन पूर्ववत् जानना; यावत् बेले के तप के पारणे के दिन वह
आतापना भूमि में नीचे उतरा। फिर स्वयमेव चार खानों वाला काष्ठमय पात्र लेकर 'बेभेल' सन्निवेश में
ऊँच, नीच और मध्यम कुलों के गृहसमुदाय से भिक्षा-विधि से भिक्षाचरी करने के लिए घूमा। भिक्षाटन 卐 करते हुए उसने इस प्रकार चार विभाग किये। “मेरे भिक्षापात्र के पहले खाने में जो कुछ भिक्षा पड़ेगी
उसे मार्ग में मिलने वाले पथिकों को दे देना है। मेरे (पात्र के) दूसरे खाने में जो कुछ (खाद्य वस्तु) प्राप्त * होगी, वह मुझे कौओं और कुत्तों को दे देनी है। जो (भोज्य-पदार्थ) मेरे तीसरे खाने में आयेगा, वह
मछलियों और कछुओं को दे देना है और चौथे खाने में जो भिक्षा प्राप्त होगी, उसका स्वयं आहार करना है।" इस प्रकार भलीभाँति निश्चय करके दूसरे दिन रात्रि व्यतीत होने पर प्रभातकालीन प्रकाश होते
ही-यावत् पूर्वोक्त विधि का पालन करता हुआ काष्ठपात्र के चौथे खाने में जो भोजन पड़ता, उसका 卐 आहार स्वयं करता है।
20. After accepting the initiation (pravrajya) he performed all " austerities like Tamali Tapas, spent his time enduring heat standing in $ Atapana Bhumi and all other details should be read as already stated
(in the story of Tamali). On the day of breaking the fast he would get down from the Atapana Bhumi, carry the wooden bowl (with four
ompartments) and properly collect alms by visiting houses of low, 45 middle and high class families in Bebhel. While collecting alms he
conceived of four divisions-"I will give whatever alms are collected in the first compartment of my bowl to the pedestrians I meet on the way. I will give whatever alms are collected in the second compartment of my
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भगवतीसूत्र (१)
(414)
Bhagavati Sutra (1)
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