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१७. इसी प्रकार सनत्कुमार देवलोक के देवेन्द्र (की ऋद्धि आदि) के विषय में भी समझना चाहिए। विशेषता यह है कि वह उसकी विकुर्वणा-शक्ति सम्पूर्ण चार जम्बूद्वीपों जितने स्थल को और तिरछे असंख्यात द्वीप समुद्रों जितने स्थल को भरने की है।
इसी तरह (सनत्कुमारेन्द्र के) सामानिक देव, त्रायस्त्रिंशक, लोकपाल एवं अग्रमहिषियों की विकुर्वणा-शक्ति असंख्यात द्वीप समुद्रों जितने स्थल को भरने की है। ___17. The same is true (about opulence etc.) for the overlord (Indra) of Sanatkumar Devlok. The difference being that he can pervade an area equivalent to that of four Jambu Dveeps and innumerable continents and seas in the transverse world (Tiryak Lok) with his transmuted forms
In the same way the Samanik, Trayastrinshak and Lok-pal gods as well as Agramahishis (chief queens) of Ishanendra can pervade an area equivalent to that of innumerable continents and seas in the transverse world (Tiryak Lok) with their transmuted forms.
स्पष्टीकरण : यद्यपि सौधर्म-ईशान-इन दो कल्पों में ही देवियाँ उत्पन्न होती हैं। सनत्कुमार देवलोक में देवी उत्पन्न नहीं होती, तथापि सौधर्म देवलोक में जो अपरिगृहीता देवियाँ होती हैं, वे देवियाँ उन सनत्कुमार देवों की उपभोग्या होती हैं, इसी कारण सनत्कुमार-प्रकरण के मूलपाठ में 'अग्गमहिसीणं' पद का उल्लेख है। (भगवती वृत्ति, पत्रांक ३/३२, भाष्य, पृष्ठ १७)
Clarification-Goddesses are born only in Saudharm and Ishan Kalps (divine realms) and not in the Sanatkumar Kalp. However, the unmarried goddesses in Saudharma Kalp are available to Sanatkumar gods. That is the reason for the mention of the term Agramahishis in context of Sanatkumar gods in the original text. (Bhagavati Vritti, leaf 3132, Bhashya, p. 17)
१८. सणंकुमाराओ आरद्धा उवरिल्ला लोगपाला सव्वे वि असंखेज्जे दीव-समुद्दे विउव्वंति। एवं माहिंदे वि। नवरं साइरेगे चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे।
१८. सनत्कुमार से लेकर ऊपर के (देवलोकों के) सब लोकपाल असंख्येय द्वीप-समुद्रों जितने स्थल को भरने की वैक्रिय-शक्ति वाले हैं। इसी तरह माहेन्द्र (नामक चतुर्थ देवलोक के इन्द्र तथा उसके सामानिक आदि देवों की ऋद्धि आदि) के विषय में भी समझना चाहिए। किन्तु इतनी विशेषता है कि ये साधिक चार जम्बूद्वीपों जितने स्थल को भरने की विकुवर्णा-शक्ति वाले हैं। ___18. Starting from Sanatkumar, all the Lok-pals in the higher divine realms (Dev Loks) have the power to pervade an area equivalent to that of innumerable continents and seas with their transmuted forms. The same is true for (the opulence etc. of Indra and other gods of the fourth heaven)
तृतीय शतक : प्रथम उद्देशक
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Third Shatak: First Lesson
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