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i Maahendra. The difference being that they can pervade an area slightly more than that of four Jambu Dveeps with their transmuted forms.
१९. एवं बंभलोए वि, नवरं अट्ठ केवलकप्पे०। एवं लंतए वि, नवरं सातिरेगे अट्ठ केवलकप्पे०। महासक्के सोलस केवलकप्पे० । सहस्सारे सातिरेगे सोलस०। एवं पाणए वि, नवरं बत्तीसं केवलकप्पे। एवं अच्चुए वि, नवरं सातिरेगे बत्तीसं केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे। अन्नं तं चेव। सेवं भंते ! ।
सेवं भंते ! ति तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ जाव विहरति।
१९. इसी प्रकार ब्रह्मलोक (नामक पंचम देवलोक के इन्द्र तथा देववर्ग की ऋद्धि आदि के विषय में भी जानना चाहिए। विशेषता : वे सम्पूर्ण आठ जम्बूद्वीपों (को भरने) की वैक्रिय-शक्ति रखते हैं। इसी ॐ प्रकार लान्तक नामक छठे देवलोक के इन्द्रादि के विषय में समझना चाहिए विशेष यह है कि वे सम्पूर्ण 9 आठ जम्बूद्वीपों से कुछ अधिक स्थल को भरने की विकुर्वणा-शक्ति रखते हैं। महाशुक्र के विषय में
विशेषता इतनी है कि वे सम्पूर्ण सोलह जम्बूद्वीपों को भरने की वैक्रिय-शक्ति रखते हैं। शेष वर्णन पूर्ववत्। ॐ सहस्रार देवलोक के इन्द्रादि के विषय में भी यही बात है। विशेषता इतनी है कि वे सम्पूर्ण सोलह जम्बूद्वीपों + से कुछ अधिक स्थल को भरने की वैक्रिय-शक्ति रखते हैं। प्राणत (देवलोक के इन्द्र तथा उसके देववर्ग की + ऋद्धि आदि) के विषय में भी इतनी विशेषता है कि वे सम्पूर्ण बत्तीस जम्बूद्वीपों जितने क्षेत्र को भरने की ॐ वैक्रिय-शक्ति वाले हैं। इसी तरह अच्युत के विषय में भी जानना चाहिए। विशेषता इतनी है कि वे सम्पूर्ण के बत्तीस जम्बूद्वीपों से कुछ अधिक क्षेत्र को भरने का वैक्रिय-सामर्थ्य रखते हैं।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है'; यों कहकर तृतीय गौतम वायुभूति अनगार श्रमण भगवान महावीर को वन्दन-नमस्कार कर विचरण करने लगे।
१२ कल्प सम्बन्धी तालिका (बृहत् संग्रहणी गाथा ११२ के अनुसार) देवलोक वैक्रिय शक्ति
देव विमान सामानिक देव-संख्या १. सौधर्म ___ सम्पूर्ण दो जम्बूद्वीप प्रमाण ३२ लाख ८४ हजार २. ईशान सम्पूर्ण दो जम्बूद्वीप से कुछ अधिक २८ लाख ८० हजार २. सनत्कुमार सम्पूर्ण चार जम्बूद्वीप
१२ लाख ७२ हजार ४. माहेन्द्र कुछ अधिक चार जम्बूद्वीप
८ लाख ७० हजार ५. ब्रह्म ८ जम्बूद्वीप
४ लाख ६० हजार ६. लान्तक कुछ अधिक ८ जम्बूद्वीप
५० हजार ५० हजार ७. महाशुक्र १६ जम्बूद्वीप
४० हजार ४० हजार ८. सहस्रार साधिक १६ जम्बूद्वीप
६ हजार ३० हजार ९. आनत सम्पूर्ण ३२ जम्बूद्वीप
४ सौ २० हजार १०. प्राणत सम्पूर्ण ३२ जम्बूद्वीप
२० हजार 卐 ११. आरण साधिक ३२ जम्बूद्वीप
३ सौ
१० हजार म १२. अच्युत कल्प साधिक ३२ जम्बूद्वीप
१० हजार
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भगवतीसूत्र (१)
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