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दसवाँ : उपयोग द्वार
१३३ कालस्यवेषिपुत्र का समाधान ग्यारहवाँ : लेश्या द्वार
१३४ चारों में अप्रत्याख्यान क्रिया : समान रूप से २१० ॥ भवनपतियों की स्थिति आदि दस द्वार १३४ आधाकर्म आहारसेवन का फल
२११ एकेन्द्रियों की स्थिति आदि दस द्वार १३५ स्थिर-अस्थिरादि निरूपण विकलेन्द्रियों के दस द्वार
१३७ तिर्यंच पंचेन्द्रियों के दस द्वार
१३७ प्रथम शतक : दशम उद्देशक : चलना २१५-२२६ मनुष्यों के दस द्वार
१३८
परमाणु के विषय में अन्यतीर्थिक मत २१५ वाणव्यन्तरों आदि के दस द्वार
१३८ स्व-समय पक्ष
२१८ प्रथम शतक : छटा उद्देशक : यावन्त १४१-१५८
ऐर्यापथिकी और साम्परायिकी क्रिया २२३
नरकादि गतियों में जीवों का उत्पाद-विरह काल २२५ सूर्य के उदयास्त सम्बन्धी प्रश्न
१४१ लोकान्त--अलोकान्तादि स्पर्श
१४३
द्वितीय शतक : प्रथम उद्देशक २२७-२७४ अठारह पापस्थान क्रिया-स्पर्श प्ररूपणा १४४ रोह अनगार का वर्णन
प्राथमिक परिचय
१४८ अष्टविध लोकस्थिति : सदृष्टान्त निरूपण
१५३
द्वितीय शतक के दस उद्देशकों का नाम-निरूपण २२७ जीव और पुद्गलों का सम्बन्ध
१५५
श्वासोच्छ्वास सूक्ष्म स्नेहकाय
१५७ एकेन्द्रियादि जीवों में श्वासोच्छ्वास
वायुकाय के श्वासोच्छ्वास प्रथम शतक : सप्तम उद्देशक :
मृतादी निर्ग्रन्थों के भवभ्रमण नैरयिक
१५९-१७६ स्कन्दक परिव्राजक
२३६ चौबीस दण्डकों के आहार-सम्बन्धी प्ररूपणा १५९ । स्कन्दक का भगवान की सेवा में आगमन २४० जीवों की विग्रह-अविग्रह गति
१६४ गौतम स्वामी द्वारा स्कन्दक का स्वागत २४२ देव का च्यवनानन्तर आयुष्य प्रतिसंवेदन १६६ भगवान द्वारा स्कन्दक का समाधान
२४६ गर्भगत जीव-सम्बन्धी विचार
लोक : सान्त या अनन्त
२४७
जीव : सान्त या अनन्त प्रथम शतक : अष्टम उद्देशक : बाल १७७-१९२
सिद्धि-विषयक प्रश्न बाल, पण्डित आदि का आयुष्यबन्ध
बालमरण-पण्डितमरण मृगघातकादि को लगने वाली क्रिया
१८१
स्कन्दक द्वारा निर्ग्रन्थ प्रव्रज्या दो योद्धाओं में जय-पराजय का कारण १८८ सवीर्यत्व-अवीर्यत्व की प्ररूपणा
१८९
स्कन्दक द्वारा तपश्चरण
स्कन्दक अनगार का समाधिमरण प्रथम शतक : नवम उद्देशक : गुरुक १९३-२१४ स्कन्दक की गति विषय में कथन जीवों के गुरुत्व--लघुत्वादि की प्ररूपणा १९३
द्वितीय शतक : द्वितीय उद्देशक : पदार्थों के गुरुत्व-लघुत्व आदि की प्ररूपणा १९४ श्रमणनिर्ग्रन्थों के लिए प्रशस्त
२००
समुद्घात आयुष्यबन्ध के सम्बन्ध में अन्यतीर्थिक २०२ समुद्घात : तत्सम्बन्धी विश्लेषण २७५
भकभक स
२२७
१७७
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