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5 [उ. ] हे गौतम ! वे अन्यतीर्थिक जो यह कहते यावत् प्ररूपणा करते हैं कि-यावत् स्त्रीवेद और ॥
पुरुषवेद; (अर्थात्-एक ही जीव एक समय में दो वेदों का अनुभव करता है;) उनका वह कथन मिथ्या है है। हे गौतम ! मैं इस प्रकार कहता हूँ कि कोई एक निर्ग्रन्थ जो मरकर, किन्हीं महर्द्धिक यावत् । महाप्रभावयुक्त, दीर्घकाल की स्थिति (आयु) वाले देवलोकों में से किसी एक में देवरूप में उत्पन्न होता है, के ऐसे देवलोक में वह महती ऋद्धि ये युक्त यावत् दशों दिशाओं में उद्योत करता हुआ, विशिष्ट कान्ति से शोभायमान यावत् अतीव रूपवान् देव होता है और वह देव वहाँ दूसरे देवों के साथ, तथा दूसरे देवों में की देवियों के साथ उन्हें वश में करके परिचारणा करता है और अपनी देवियों को वश में करके उनके 5 साथ भी परिचारणा करता है; किन्तु स्वयं वैक्रिय करके अपने दो रूप बनाकर परिचारणा नहीं करता, (क्योंकि एक जीव एक समय में स्त्रीवेद और पुरुषवेद, इन दोनों वेदों में से किसी एक वेद का ही अनुभव करता है। जब स्त्रीवेद को वेदता है, तब पुरुषवेद को नहीं वेदता; जिस समय पुरुषवेद को 5 वेदता है, उस समय स्त्रीवेद को नहीं वेदता। स्त्रीवेद के उदय होने से पुरुषवेद को नहीं वेदता और पुरुषवेद का उदय होने से स्त्रीवेद को नहीं वेदता। अतः एक जीव एक समय में स्त्रीवेद और पुरुषवेद, 5
इन दोनों वेदों में से किसी एक वेद को ही वेदता है। जब स्त्रीवेद का उदय होता है, तब स्त्री, पुरुष की । ॐ अभिलाषा करती है और जब पुरुषवेद का उदय होता है, तब पुरुष, स्त्री की अभिलाषा करता है।
अर्थात्-पुरुष और स्त्री परस्पर एक-दूसरे की इच्छा करते हैं। वह इस प्रकार-स्त्री, पुरुष की और * पुरुष, स्त्री की अभिलाषा करता है। 4. 1. (Q.) Bhante ! People of other faiths (anyatirthik) or heretics say 41
(akhyanti), assert (bhashante), elaborate (prajnapayanti) and propagate (prarupayanti) that after death when an ascetic (nirgranth) becomes a Dev (divine being), he does not indulge there (in the divine realm) in acts of sexual gratification (paricharana) by overpowering and embracing other gods and consorts of other gods. He also does not do so by overpowering and embracing his own consorts. Instead, he transforms himself into two bodies (one male and one female) through the process of transmutation (vikriya). Transformed thus into two bodies, he indulges in acts of sexual gratification with that transmuted female (goddess). 5 Thus a single soul (jiva) experiences two genders (veda) at the same 5 time--male gender and female gender. Bhante ! How is it possible ? (Is the statement of heretics true ?) ___ [Ans.] Gautam ! What the people of other faiths (anyatirthik) or : heretics say (akhyanti)... and so on up to... propagate... and so on up to... a single soul (jiva) experiences two genders (veda) at the same time_male gender and female gender, is false. O Gautam ! I say that-An ascetic who, on death, reincarnates in one of the divine realms with $ great opulence... and so on up to... great influence and great life-span 45 | द्वितीय शतक : पंचम उद्देशक
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Second Shatak: Fifth Lesson
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