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(Q.) Bhante ! Why do you say so ? __[Ans.] Gautam ! It is because of the lack of abstinence (avirati), and so it is said that a merchant and a pauper, a beggar and a king (kshatriya) have the same apratyakhyan-kriya (act and consequence of non-renunciation in terms of karmic bondage).
आधाकर्म आहारसेवन का फल CONSEQUENCE OF VIOLATING PROHIBITION
२६. [प्र. ] आहाकम्मं णं भुंजमाणे समणे निग्गंथे किं बंधति ? किं पकरेति ? किं चिणाति ? किं उवचिणाति ? __ [उ. ] गोयमा ! आहाकम्मं णं भुंजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्पप्पगडीओ सिढिलबंधणबद्धाओ पणियबंधणबद्धाओ पकरेइ जाव अणुपरियट्टइ।
[प्र. ] से केणट्टेणं जाव अणुपरियट्टइ ?
[उ. ] गोयमा ! आहाकम्मं णं भुंजमाणे आयाए धम्मं अतिक्कमति, आयाए धम्मं अतिक्कममाणे पुढविक्कायं णावकंखति जाव तसकायं णावकंखति, जेसि पि य णं जीवाणं सरीराइं आहारमाहारेइ ते वि जीवे नावकंखति। से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-आहाकम्मं णं भुंजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ जाव अणुपरियट्टति।
२६. [प्र. ] भगवन् ! आधाकर्मदोषयुक्त आहारादि का उपभोग करता हुआ श्रमणनिर्ग्रन्थ क्या बाँधता है ? क्या करता है ? किसका चय (वृद्धि) करता है ? और किसका उपचय करता है ? __ [उ. ] गौतम ! आधाकर्मदोषयुक्त आहारादि का उपभोग करता हुआ श्रमणनिर्ग्रन्थ आयुकर्म को छोड़कर शिथिल बन्धन से बँधी हुई सात कर्मप्रकृतियों को दृढ़ बन्धन से बँधी हुई बना लेता है, यावत्संसार से बार-बार पर्यटन करता है।
[प्र. ] भगवन् ! इसका क्या कारण है कि, यावत्-वह संसार में बार-बार पर्यटन करता है?
[उ. ] गौतम ! आधाकर्मी आहारादि का उपभोग करता हुआ श्रमणनिर्ग्रन्थ अपने आत्मधर्म का अतिक्रमण करता है। अपने आत्मधर्म का अतिक्रमण करता हुआ पृथ्वीकाय के जीवों की अपेक्षा (परवाह) नहीं करता और यावत्-त्रसकाय के जीवों की भी चिन्ता (परवाह) नहीं करता और जिन जीवों के शरीरों का वह भोग करता है, उन जीवों की भी चिन्ता नहीं करता। इस कारण हे गौतम ! ऐसा कहा गया है कि आधाकर्मदोषयुक्त आहार भोगता हुआ (श्रमण) आयुकर्म को छोड़कर सात कर्मों की शिथिलबद्ध प्रकृतियों को गाढ़बन्धन-बद्ध कर लेता है, यावत्-संसार में बार-बार परिभ्रमण करता है।
26. (Q.) Bhante ! While consuming food (etc.) with adhakarmik fault (food specifically prepared for an ascetic is called adhakarmik food and it is prohibited) what does an ascetic bind ? What does he acquire ? What does he assimilate (chaya) ? and what does he augment (upachaya)?
[Ans.] Gautam ! While consuming food (etc.) with adhakarmik fault an ascetic turns the weak bondage of seven species of karmas other than
प्रथम शतक : नवम उद्देशक
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First Shatak : Ninth Lesson
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