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२. [प्र. ] भगवन् ! जीव किस प्रकार शीघ्र लघुत्व को प्राप्त करते हैं ? 3 [उ. ] गौतम ! प्राणातिपात से विरत होने से यावत् मिथ्यादर्शनशल्य से विरत होने से जीव शीघ्र लघुत्व को प्राप्त होते हैं।
2. [Q.JBhante ! How do souls soon attain lightness ? ___ [Ans.] Gautam ! Through abstaining from pranatipat (harming or destruction of life),... and so on up to... mithyadarshan shalya (the thorn
of wrong belief or unrighteousness) Gautam ! Thus (by abstaining from fi indulgence in these eighteen causes of sin) souls soon attain lightness.
३. एवं आउलीकरेंति, एवं परित्तीकरेंति। एवं दीहीकरेंति, एवं हस्सीकरेंति, एवं अणुपरियति, म एवं वीतीवयंति। पसत्था चत्तारि। अप्पसत्था चत्तारि।
३. इसी प्रकार जीव प्राणातिपात आदि पापों का सेवन करने से संसार को आकुल करते हैं-भव के भ्रमण करते हैं, दीर्घकालीन करते हैं, और बार-बार भव-भ्रमण करते हैं, तथा प्राणातिपात आदि पापों म से निवृत्त होने से जीव संसार को परिमित करते हैं, हस्व-अल्पकालीन (छोटा) करते हैं, और संसार
को लाँघ जाते हैं। उनमें से चार (लघुत्व, संसार का परित्तीकरण, ह्रस्वीकरण एवं व्यतिक्रमण) प्रशस्त म हैं, और चार (गुरुत्व, संसार का वृद्धीकरण, दीर्धीकरण एवं पुनः-पुनः भव-भ्रमण) अप्रशस्त हैं।
3. Also (through indulgence in sins like killing) souls expand, 4 lengthen and continue to repeat the cycles of rebirth. And (through 4 abstaining from indulgence in sins like killing) souls limit, shorten and
terminate the cycles of rebirth. Of the aforesaid, four (lightness, limitation, shortening and termination) are noble and four (heaviness, expansion, lengthening and continuation) are ignoble. पदार्थों के गुरुत्व-लघुत्व आदि की प्ररूपणा HEAVINESS AND LIGHTNESS OF SUBSTANCES
४. [प्र. ] सत्तमे णं भंते ! ओवासंतरे किं गरुए, लहुए, गरुयलहुए, अगरुयलहुए ? __ [उ. ] गोयमा ! नो गरुए, नो लहुए, नो गरुयलहुए, अगरुयलहुए।
४. [प्र. ] भगवन् ! या सातवाँ अवकाशान्तर गुरु है, वह लघु है, या गुरु-लघु है, अथवा ऊ अगुरु-लघु है ? म [उ. ] गौतम ! वह गुरु नहीं है, लघु नहीं, गुरु-लघु नहीं है, किन्तु अगुरु-लघु है। 41 4. (Q.) Bhante ! Is the seventh intervening space (avakashantar) # heavy (guru), light (laghu), guru-laghu (heavy-light) or aguru-laghu (neither heavy nor light)?
(Ans.] Gautam ! It is neither heavy (guru), nor light (laghu), nor guru-laghu (heavy-light) but aguru-laghu (neither heavy nor light).
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| भगवतीसूत्र (१)
(194)
Bhagavati Sutra (1)
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