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अशैलेशीप्रतिपन्न हैं वे लब्धिवीर्य की अपेक्षा सवीर्य हैं, किन्तु करणवीर्य की अपेक्षा सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं। ____10. [Q.] Bhante ! Are souls (jiva) with potency (savirya) or without potency (avirya)? ___ [Ans.] Gautam ! Souls (jiva) are with potency (savirya) as well as without potency (avirya).
(Q.] Bhante ! Why do you say that ?
(Ans.] Gautam ! Souls (jiva) are of two kinds—Samsar-samapannak (worldly souls) and Asamsar-samapannak (non-worldly souls). Of these the non-worldly souls are Siddhas (liberated souls) and the Siddhas are avirya (without active potency). The worldly souls are of two kindsShaileshipratipanna (who has attained rock-like steady state) and Ashaileshipratipanna (who has not attained rock-like steady state). Of these the Shaileshipratipanna ones are savirya in terms of labdhivirya (dormant potency or intent) and avirya in terms of karanvirya (active potency or indulgence). And the Ashaileshipratipanna ones are savirya in terms of labdhivirya (dormant potency) and savirya as well as avirya in terms of karan-virya (active potency).
११.[प्र. १ ] नेरइया णं भंते ! किं सवीरिया ? अवीरिया ? [उ. ] गोयमा ! नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि अवीरिया वि।
[प्र.] से केणठेणं? __ [उ. ] गोयमा ! जेसि णं नेरइयाणं अत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे ते णं नेरइया लद्धिवीरिएण वि सवीरिया, करणवीरिएण वि सवीरिया, जेसि णं नेरइयाणं नत्थि उट्ठाणे जाव परक्कमे ते णं नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। से तेणट्टेणं।
[२] जहा नेरइया एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया। [३] मणुस्सा जहा ओहिया जीवा। नवरं सिद्धवज्जा भाणियवा। [४] वाणमन्तर-जोइस-वेमाणिया जहा नेरिया। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति.।
॥ पढमे सए : अट्ठमो उद्देसो समत्तो ॥ ११. [प्र. १ ] भगवन् ! क्या नारक जीव सवीर्य हैं या अवीर्य ?
[उ. ] गौतम ! नारक जीव लब्धिवीर्य (आत्म-शक्ति की उपलब्धि) की अपेक्षा सवीर्य हैं और करणवीर्य (प्रवृत्ति) की अपेक्षा सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं।
[प्र. ] भगवन् ! इसका क्या कारण है ?
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भगवतीसूत्र (१)
(190)
Bhagavati Sutra (1)
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