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451 otherwise no matter when the victim dies there is an involvement of all 4 the five activities. (Vritti, leaves 93-94)
Five activities (1) kaayiki-physical activity or sinful act performed by body. (2) aadhikaraniki-activity of collecting instrunments of ___violence, (3) praadveshiki-activity of harbouring intense aversion,
(4) paaritapaniki-activity of inflicting pain on some living being, and (5) pranatipatiki—activity of killing the chosen living being. दो योद्धाओं में जय-पराजय का कारण CAUSE OF VICTORY AND DEFEAT
९. [प्र. ] दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिव्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा अनमनेणं सद्धिं संगामं संगामेंति, तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइज्जइ, से कहमेयं भंते ! एवं ? __ [उ. ] गोयमा ! सवीरिए पराइणइ, अवीरिए पराइज्जति।
[प्र. ] से केणटेणं जाव पराइज्जति ?
[उ. ] गोयमा ! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माइं नो बद्धाइं नो पुट्ठाइं जाव नो अभिसमन्नागताई, नो उदिण्णाई, उवसंताई भवंति से णं पुरिसे परायिणति; जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई बधाई जाव उदिण्णाई, कम्माइं नो उवसंताई भवंति से णं पुरिसे परायिज्जति। से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ . सवीरिए पराजिणइ, अवीरिए पराइज्जति !
९. [प्र. ] भगवन् ! एक सरीखे, एक सरीखी चमड़ी वाले, समान वयस्क, समान द्रव्य और उपकरण (शस्त्रादि साधन) वाले कोई दो पुरुष परस्पर एक-दूसरे के साथ संग्राम करें, तो उनमें से एक ॐ पुरुष जीतता है और एक पुरुष हारता है; भगवन् ! ऐसा क्यों होता है ?
[उ. ] हे गौतम ! जो पुरुष सवीर्य (वीर्यवान् = आत्म-शक्तिसम्पन्न, मनोबली) होता है, वह जीतता ॐ है और जो वीर्यहीन (संकल्प व साहसहीन) होता है, वह हारता है। ___[प्र. ] भगवन् ! इसका क्या कारण है यावत्-वीर्यहीन हारता है ?
[उ. ] गौतम ! जिसने वीर्य-विघातक कर्म नहीं बाँधे हैं, नहीं स्पर्श किये हैं यावत् प्राप्त नहीं किये है हैं और उसके वे कर्म उदय में नहीं आये हैं परन्तु उपशान्त हैं, वह पुरुष जीतता है। जिसने वीर्य ॐ विघातक कर्म बाँधे हैं, स्पर्श किये हैं, यावत् उसके वे कर्म उदय में आये हैं, परन्तु उपशान्त नहीं हैं, वह
पुरुष पराजित होता है। अतएव हे गौतम ! इस कारण ऐसा कहा जाता है कि सवीर्य पुरुष विजयी होता ॐ है और वीर्यहीन पुरुष पराजित होता है।
9. [Q.] Bhante ! When two individuals, wholly alike with similar skin, same age and equipped with similar things and devices (weapons), figh each other, one of them wins and the other loses. Bhante ! Why does it happen like that?
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| भगवतीसूत्र (१)
(188)
Bhagavati Sutra (1)
步步
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