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+ ८. [प्र. ] पुरिसे णं भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधंसेज्जा, सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदेज्जा, : ततो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?
[उ. ] गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए समभिधंसेइ सयपाणिणा वा से असिणा सीसं ॐ छिंदइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, जाव पाणातिवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढें, आसन्नवहएण य अणवकंखणवत्तिएणं पुरिसवेरेणं पुढें।
८. [प्र. ] भगवन् ! कोई पुरुष किसी पुरुष को बरछी (या भाले) से मारे अथवा अपने हाथ से तलवार द्वारा उस पुरुष का मस्तक काट डाले, तो वह पुरुष कितनी क्रिया वाला होता है ?
[उ.] गौतम ! जब वह पुरुष उसे बरछी द्वारा मारता है, अथवा अपने हाथ से तलवार द्वारा उस पुरुष का मस्तक काटता है, तब वह पुरुष कायिकी, आधिकरणिकी यावत् प्राणातिपातिकी इन पाँचों ॐ क्रियाओं से स्पृष्ट होता है और वह आसन्नवधक (तुरन्त मरने वाला) एवं दूसरे के प्राणों की परवाह न करने वाला पुरुष, पुरुष-वैर से स्पृष्ट होता है।
8. (Q.) Bhante ! If a person kills another person by a lance or beheads him with a sword then in how many activities (kriya) that person is ! involved ?
(Ans.] Gautam ! When that person kills another person by a lance or beheads him with a sword then he is involved in five activities-kaayiki, aadhikaraniki, ... and so on up to... pranatipatiki. And that spontaneous
killer who is careless of the life of others is touched by animosity for man. # विवेचन : षट्मास की अवधि क्यों ? जिस पुरुष के प्रहार से मृगादि प्राणी छह मास के भीतर मर जाये तो , है उसके मरण में वह प्रहार निमित्त माना जाता है। इसलिए मारने वाले को पाँचों क्रियाएँ लगती हैं, किन्तु वह
मृगादि प्राणी छह महीने के बाद मरता है तो उसके मरण में वह प्रहार निमित्त नहीं माना जाता, इसलिए उसे
प्राणातिपातिकी के अतिरिक्त शेष चार क्रियाएँ ही लगती हैं। यह कथन व्यवहारनय की दृष्टि । प्रहार के निमित्त से जब कभी भी मरण हो, उसे पाँचों क्रियाएँ लगती हैं। (वृत्ति ९३-९४)
पंचक्रियाएँ-(१) कायिकी-काया द्वारा होने वाला सावध व्यापार, (२) आधिकरणिकी-हिंसा के साधन। शस्त्रादि जुटाना, (३) प्रादेषिकी-तीव्र द्वेषभाव से लगने वाली क्रिया, (४) पारितापनिकी-किसी जीव को पीड़ा ।
पहुँचाना, और (५) प्राणातिपातिकी-जिस जीव को मारने का संकल्प किया था, उसे मार डालना। i Elaboration-Six month period—When a deer or other living being i dies within six months of hitting by a person, that attack is believed to
be the cause of death. Therefore there is said to be an involvement of all the five activities. However, if the victim dies after six months, that attack is not considered to be the cause of death. Therefore it is said to
be an involvement of four activities leaving aside the act of killing. This i statement is from vyavahar naya (empirical or conventional standpoint)
因牙牙牙牙牙牙步步步步步步步牙岁%%%%%%%%%%%$$$$$$$$$ELLE ELEVE F FIF
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प्रथम शतक : अष्टम उद्देशक
(187)
First Shatak : Eighth Lesson
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