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११. [ प्र. ] जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे किं ससरीरी वक्कमइ ? असरीरी वक्कमइ ?
[उ.] गोयमा ! सिय ससरीरी वक्कमति, सिय असरीरी वक्कमति ।
[प्र. ] से केणट्टेणं ?
[उ. ] गोयमा ! ओरालिय- वेउब्विय - आहारयाई पडुच्च असरीरी वक्कमति, तेया- कम्माई पडुच्च ससरीरी वक्कमति से तेणट्टेणं गोयमा !
१ १ . [ प्र. ] भगवन् ! गर्भ में उत्पन्न होता हुआ जीव, क्या शरीर-सहित उत्पन्न होता है, अथवा
शरीररहित भी उत्पन्न होता है।
[उ.] गौतम ! शरीर सहित भी उत्पन्न होता है, शरीररहित भी उत्पन्न होता है।
[प्र. ] भगवन् ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं ?
[उ.] गौतम ! औदारिक, वैक्रिय और आहारक शरीरों की अपेक्षा शरीररहित उत्पन्न होता है तथा तैजस्, कार्मण शरीरों की अपेक्षा शरीर सहित उत्पन्न होता है। इस कारण ऐसा कहा है।
11. [Q.] Bhante ! Is a soul descending in a womb conceived with body (sharira) or without body ?
[Ans.] Gautam ! It is conceived with body as well as without body. [Q.] Bhante ! Why do you say so ?
[Ans.] Gautam ! In context of gross physical (audarik), transmutable 5 (vaikriya) and telemigratory (aahaarak) bodies it is conceived without 卐 body and in context of fiery (taijas) and karmic (karman) bodies it is conceived with body. That is why I have said so.
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१२. [ प्र. ] जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे तप्पढमताए किमाहारमाहारेति ?
उ.] गोयमा ! माउओयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसिद्धं कलुतं किव्विसं तप्पढमताए आहारमाहारेति । १२. [ प्र. ] भगवन् ! गर्भ में उत्पन्न होते ही जीव सर्वप्रथम क्या आहार करता है ?
[उ.] गौतम ! परस्पर एक-दूसरे में मिला हुआ माता का आर्तव (रज) और पिता का शुक्र (वीर्य), जोकि कलुष ( मलिन) और किल्विष ( घृणास्पद) है, जीव गर्भ में उत्पन्न होते ही सर्वप्रथम उसका 5 आहार करता है।
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[Ans.] Gautam ! The first intake (aahaar) of a soul being conceived in
a womb is the grimy and repulsive mixture of menstrual discharge
(aartava) of the mother and semen (virya) of the father.
भगवतीसूत्र (१)
12. [Q.] Bhante ! What is the first intake (aahaar) of a soul being 5 conceived in a womb? 卐
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Bhagavati Sutra (1)
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