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卐 movement) and avigraha gati (straight movement). When some soul +
reaches the destination of reincarnation after one, two or three turns, its movement is called vigraha gati. When it reaches the destination without any turn its movement is called avigraha gati. However, here the accepted meaning of avigraha gati is absence of vigraha gati. This conveys that here the term vigraha gati has been used for the movement of soul from one genus to another or the 'reincarnative movement. Thus the term avigraha gati means absence of reincarnative movement or the state of a soul existing in a specific genus.
Statement in context of many souls-As the number of souls is infinite, every moment many beings are in state of reincarnative movement and many in that of absence of such movement. (Vritti, leaves 85-86) देव का च्यवनानन्तर आयुष्य प्रतिसंवेदन POST DESCENT EXPERIENCE OF LIFE BY A DIVINE BEING
९. [प्र. ] देवे णं भंते ! महिड्डिए महज्जुतीए महब्बले महायसे महासोक्खे महाणुभावे अविउक्कंतियं चयमाणे किंचि वि कालं हिरिवत्तियं दुगुंछावत्तियं परिस्सहवत्तियं आहारं नो आहारेति; अहे णं आहारेति, # आहारिज्जमाणे आहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीणे य आउए भवइ, जत्थ उववज्जति तमाउयं
पडिसंवेदेति, तं जहा-तिरिक्खजोणियाउयं वा मणुस्साउयं वा। म [उ. ] हंता, गोयमा ! देवे णं महिड्डीए जाव मणुस्साउगं वा ?
९. [प्र. ] भगवन् ! (विमान व परिवार की अपेक्षा) महान् ऋद्धि वाला, (शरीर व आभूषणों की म दीप्ति की अपेक्षा) महान् द्युति वाला, महान् बल (शारीरिक शक्ति) वाला, महायशस्वी (अनेक प्रकार के
रूप करने की शक्ति की अपेक्षा), महाप्रभावशाली (महासामर्थ्य सम्पन्न) मरणकाल में च्यवने वाला, महेश नामक देव (अथवा महाप्रभुत्वसम्पन्न देव) लज्जा के कारण, स्त्री के गर्भाशय को देखकर, घृणा के 卐 कारण, परीषह के कारण कुछ समय तक आहार नहीं करता, फिर आहार करता है और ग्रहण किया है
हुआ आहार परिणत भी होता है। अन्त में उस देव की वहाँ की आयु समाप्त हो जाती है। इसलिए वह म देव जहाँ उत्पन्न होता है, वहाँ की आयु भोगता है; तो हे भगवन् ! उसकी वह आयु तिर्यंच की समझी है
जाये या मनुष्य की आयु समझी जाये? म [उ. ] हाँ, गौतम ! उस महाऋद्धि वाले देव का यावत् च्यवन के पश्चात् तिर्यंच का आयुष्य अथवा 5 * मनुष्य का आयुष्य समझना चाहिए। (चूँकि देव मरकर देवगति या नरकगति में नहीं जाता, इसलिए ॐ तिर्यंच या मनुष्य जिस गति में भी जाता है, वहाँ की आयु भोगता है।)
9. [Q.] Bhante ! A majestic divine being (or a god named Mahesh) with great riddhi (opulence in terms of celestial vehicles and retinue), great dyuti (radiance in terms of body and embellishments), great bal (physical strength), great yash (fame in terms of power to acquire many
555 5 $$$$ $$ $$$$$$$$$$$ $$听听听听听 $ $$ $$$$$$
भगवतीसूत्र (१)
(166)
Bhagavati Sutra (1)
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