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(Gautam) Yes, Bhante ! It will.
(Bhagavan) That is why I say that soul and matter exist... and so on up to... mutually fused. ( In other words, in the pond of mundane existence filled with the water of matter particles when the perforated boat of soul (living being) submerges, mr atter and soul fuse together. )
सूक्ष्म स्नेहकाय MINUTE WATER PARTICLES
२७. [प्र.१] अस्थि णं भंते! सदा समियं सुहुमे सिणेहकाये पवडति ?
[उ.] हंता, अत्थि ।
२७. [ प्र. १ ] भगवन् ! क्या सूक्ष्म स्नेहकाय (एक प्रकार का सूक्ष्म जल) सदा परिमित ( रात और दिन के प्रथम व अन्तिम प्रहर में ) पड़ता है ?
[उ.] हाँ, गौतम ! पड़ता है।
27. [Q. 1] Bhante ! Does sukshma snehakaya (minute water particles or superfine mist) always fall in limited quantity (at specific periods like first and last quarters of the day)?
[Ans.] Yes, Gautam! It does.
[प्र. २] से भंते ! किं उड्डे पवडति, अहे पवडति तिरिए पवडति ?
[उ.] गोयमा ! उड्डे वि पवडति, अहे वि पवडति, तिरिए वि पवडति ।
[प्र. २ ] भगवन् ! वह सूक्ष्म स्नेहकाय ऊपर पड़ता है, नीचे पड़ता है या तिरछा पड़ता है ?
[उ.] गौतम ! ऊपर (ऊर्ध्वलोक में वर्तुल वैताढ्यादि में) भी पड़ता है, नीचे (अधोलोक ग्रामों में) भी पड़ता है और तिर्यग्लोक में भी पड़ता है।
[Q. 2] Bhante ! Does that superfine mist fall in the upper world, lower world or the transverse world (tiryak lok)?
[Ans.] Gautam ! It falls in the upper world (like Vartul Vaitadhya), lower world (villages in the lower world) as well as the transverse world (tiryak lok).
[प्र. ३ ] जहा से बादरे आउकाए अन्त्रमन्त्रसमाउत्ते चिरं पि दीहकालं चिट्ठति तहा णं से वि ? [ उ. ] नो इणट्टे समट्टे, से णं खिप्पामेव विद्धंसमागच्छति ।
सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति !
॥ पढमे सए : छट्टो उद्देसो समत्तो ॥
[प्र. ३ ] भगवन् ! क्या वह सूक्ष्म स्नेहकाय स्थूल अप्काय की भाँति परस्पर समायुक्त होकर बहुत दीर्घकाल तक रहता है ?
प्रथम शतक : छठा उद्देशक
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First Shatak: Sixth Lesson
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