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२१. [प्र. ] पुब्बिं भंते ! लोयंते पच्छा सव्वद्धा ? [उ. ] जहा लोयंतेणं संजोइया सव्वे ठाणा एते, एवं अलोयंतेण वि संजोएतव्वा सव्वे। २१. [प्र. ] हे भगवन् ! क्या लोकान्त पहले और सर्वाद्धा (सर्वकाल) पीछे है ? ।
[उ. ] जैसे लोकान्त के साथ (पूर्वोक्त) सभी स्थानों का संयोग किया, उसी प्रकार अलोकान्त के साथ इन सभी स्थानों को जोड़ना चाहिए। ॐ 21. [Q.] Bhante ! Is lokant (edge of occupied space) first and sarvaddha (all time) next?
(Ans.) What has already been stated with regard to lokant in relation with other things should be repeated here. The same should also be 'i repeated with regard to alokant (edge of unoccupied space).
२२. [प्र. ] पुट्विं भंते ! सत्तमे ओवासंतरे ? पच्छा सत्तमे तणुवाते ? + [उ. ] एवं सत्तमं ओवासंतरं सव्वेहिं समं संजोएयव्वं जाव सब्बताए। ज २२. [प्र. ] भगवन् ! पहले सप्तम अवकाशान्तर है और पीछे सप्तम तनुवात है ?
[उ. ] हे रोह ! इसी प्रकार सप्तम अवकाशान्तर को पूर्वोक्त सब स्थानों के साथ जोड़ना चाहिए। 卐 इसी प्रकार यावत् सर्वाद्धा तक समझना चाहिए।
22. [Q.] Bhante! Does seventh avakashantar (intervening space) come first and seventh tanuvaat (seventh ring of rarefied air) next? ॥ [Ans.] Yes, Roha ! And in the same way all aforesaid things should 卐 be connected with seventh avakashantar... and so on up to... sarvaddha 卐 (all time).
२३. [ प्र. ] पुव्विं भंते ! सत्तमे तणुवाते पच्छा सत्तमे घणवाते ? [उ. ] एयं पि तहेव नेतव्वं जाव सबद्धा। २३. [प्र. ] भगवन् ! पहले सप्तम तनुवात है और पीछे सप्तम घनवात है ? [उ. ] रोह ! यह भी उसी प्रकार यावत् सर्वाद्धा तक जानना चाहिए।
23. [Q.] Bhante ! Does seventh tanuvaat (seventh ring of rarefied air) come first and seventh ghanavaat (seventh ring of dense air) next? 41 [Ans.] Roha ! This also follows the aforesaid pattern up to sarvaddha 4 (all time).
२४. एवं उवरिल्लं एक्केक्कं संजोयंतेणं जो जो हेछिल्लो तं तं छड्डतेणं नेयव्वं जाव अतीतफ़ अणागतद्धा पच्छा सव्वद्धा जाव अणाणुपुब्बी एसा रोहा !
सेवं भंते ! सेवं त्ति ! जाव विहरति।
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भगवतीसूत्र (१)
(152)
Bhagavati Sutra (1)
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