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[उ. ] हे रोह ! लोकान्त और सप्तम अवकाशान्तर, ये दोनों पहले भी हैं और पीछे भी हैं। इस प्रकार यावत्-हे रोह ! इन दोनों में पहले-पीछे का क्रम नहीं है।
18. (Q.) Bhante ! Is lokant (edge of occupied space) first and seventh avakashantar (intervening space between two bodies or layers of air) next? Or seventh avakashantar first and lokant next?
(Ans.] Roha ! Lokant and avakashantar both are first as well as next... and so on up to... The order of preceding and following is not applicable to these.
१९. एवं लोअंते य सत्तमे य तणुवाते। एवं घणवाते, घणोदही, सत्तमा पुढवी।
१९. इसी प्रकार लोकान्त और सप्तम तनुवात (तरल वायु), इसी प्रकार घनवात (घनीभूत वायु), घनोदधि (जल की घनीभूत तरल अवस्था) और सातवीं पृथ्वी के विषय में समझना चाहिए।
19. The same is also true for lokant and seventh tanuvaat (seventh ring of rarefied air). Same is true also for ghanavaat (ring of dense air), ghanodadhi (ring of frozen water) and the seventh prithvi (seventh hell). २०. एवं लोअंते एक्केक्केणं संजोएयब्चे इमेहिं ठाणेहि, तं जहा
ओवास १, वात २, घण उदही ३, पुढवी ४, दीवा ५ य सागरा ६, वासा ७। नेरइयादी ८, अत्थिय ९, समया १०, कम्माई ११, लेस्साओ १२॥१॥ दिट्ठी १३, दंसण १४, णाणा १५, सण्ण १६, सरीरा १७, य जोग १८ उवओगे १९।
दव्य २०, पदेसा २१, पज्जव २२, अद्धा २३, किं पुचि लोयंते ? ॥२॥ २०. इस प्रकार निम्नलिखित स्थानों में से प्रत्येक के साथ लोकान्त को जोड़ना चाहिए; यथा
(गाथार्थ-) अवकाशान्तर, वात, घनोदधि, पृथ्वी, द्वीप, सागर, वर्ष (क्षेत्र), नारक आदि जीव (चौबीस दण्डक के प्राणी), अस्तिकाय, समय, कर्म, लेश्या, दृष्टि, दर्शन, ज्ञान, संज्ञा, शरीर, योग, उपयोग, द्रव्य, प्रदेश, पर्याय और काल (अद्धा); क्या ये पहले हैं और लोकान्त पीछे हैं ?
20. In the same way lokant should be associated with each of the following places
The verse-Avakashantar (intervening space), vaat (rings of air), ghanodadhi (ring of frozen water), prithvi (hell), dveep (continent), sagar (sea), varsh (area), infernal and other beings (of the twenty four places of suffering), astikaya (conglamorative entity), Samaya (smallest fraction of time), karma, leshya (complexion of soul), drishti (outlook), darshan (perception/faith), jnana (knowledge), sanina (sentience), sharira (body). yoga (association), upayoga (cognition or inclination), dravya (substance), pradesh (fraction or space-point), paryaya (mode) and addha (time). Are these first and lokant next?
प्रथम शतक: छठा उद्देशक
(151)
First Shatak : Sixth Lesson
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