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[Ans.] Gautam ! There are jnanis ( having right knowledge) as well as ajnanis (having false knowledge) among them. Those with right knowledge have, as a rule, three kinds of right knowledge, and those with false knowledge have three kinds of false knowledge alternatively.
23. [Q. 1] Bhante ! Do the infernal beings having abhinibodhik jnana (mati jnana or sensory knowledge) in this Ratnaprabha prithvi (hell) have inclination of anger (krodhopayukta), and so on_up to... inclination of greed (lobhopayukta ) ?
[Ans.] Gautam ! For these twenty seven aforesaid alternatives should be stated. [2] In the same way twenty seven aforesaid alternatives each should be stated with regard to those having three kinds of right knowledge and those having three kinds of false knowledge.
विवेचन: जिनकी दृष्टि (दर्शन) में समभाव है, सम्यक्त्व है, वे सम्यग्दृष्टि हैं। वस्तु का विपरीत स्वरूप समझना मिथ्यादर्शन है । विपरीत दृष्टि वाला प्राणी मिथ्यादृष्टि होता है। जो न पूरी तरह मिथ्यादृष्टि है और न सम्यग्दृष्टि है, वह सम्यग्मिथ्यादृष्टि - मिश्र दृष्टि कहलाता है।
तीन ज्ञान और तीन अज्ञान कैसे ? -जो जीव नरक में सम्यक्त्व सहित उत्पन्न होते हैं, उन्हें जन्मकाल के प्रथम समय से लेकर भवप्रत्यय अवधिज्ञान होता है, इसलिए उनमें निश्चित रूप से तीन ज्ञान होते हैं। मिथ्यादृष्टि जीव नरक में उत्पन्न होते हैं, वे यहाँ से संज्ञी या असंज्ञी जीवों में से गये हुए होते हैं। उनमें से जो जीव यहाँ से संज्ञी जीवों में से जाकर नरक में उत्पन्न होते हैं, उन्हें जन्मकाल से ही विभंग (विपरीत अवधि) ज्ञान होता है। इसलिए उनमें नियमतः तीन अज्ञान होते हैं। जो जीव यहाँ से असंज्ञी जीवों में से जाकर नरक में उत्पन्न होते हैं, उन्हें जन्मकाल में दो अज्ञान (मति - अज्ञान और श्रुत - अज्ञान) होते हैं, और एक अन्तर्मुहूर्त व्यतीत हो जाने पर पर्याप्त अवस्था प्राप्त होने पर विभंगज्ञान उत्पन्न होता है, तब उन्हें तीन अज्ञान हो जाते हैं। इसलिए उनमें तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से कहे गये हैं । अर्थात्- किसी समय उनमें दो अज्ञान होते हैं, किसी समय तीन अज्ञान। जब दो अज्ञान होते हैं, तब उनमें क्रोधोपयुक्त आदि ८० भंग होते हैं, क्योंकि ये जीव थोड़े से होते हैं। ज्ञान और अज्ञान - ज्ञान का अर्थ यहाँ सम्यग्ज्ञान और अज्ञान का अर्थ ज्ञानाभाव नहीं, अपितु मिथ्याज्ञान है । (वृत्ति, पत्रांक ७२-७३)
Elaboration-Samyagdrishti-one having right perception/faith or righteousness and equanimity. Mithyadrishti-to understand a thing wrongly or falsely is mithya darshan. One having wrong perception/faith is mithyadrishti. Samyagmithyadrishti-one having right-wrong or mixed perception/faith; in other words one who is neither completely righteous nor completely unrighteous. He is also called mishradrishti (having mixed perception / faith).
Three jnana and three ajnana-A righteous being born in hell has bhava pratyayik (acquired at birth) avadhi jnana since the very moment of
प्रथम शतक : पंचम उद्देशक
First Shatak: Fifth Lesson
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