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म [उ. ] गौतम ! इनके क्रोधोपयुक्त आदि सत्ताईस भंग कहने चाहिए। [२] इसी प्रकार मिथ्यादृष्टि
के भी क्रोधोपयुक्त आदि २७ भंग कहने चाहिए। [३] सम्यग्मिथ्यादृष्टि के अस्सी भंग (पूर्ववत्) ॐ कहने चाहिए।
20. [Q.] Bhante ! Are the infernal beings living in this Ratnaprabha 15 prithvi samyagdrishti (having right perception/faith), mithyadrishti
(having wrong perception/faith) or samyagmithyadrishti (having right卐 wrong or mixed perception/faith)? ___[Ans.] Gautam ! They are of all the three kinds.
21.10.1] Bhante ! Do the infernal beings having right perception/faithf living in this Ratnaprabha prithvi have inclination of anger (krodhopayukta), ... and so on up to... inclination of greed (lobhopayukta)?
(Ans.] Gautam ! For these too twenty seven aforesaid alternatives should be stated. [2] In the same way twenty seven aforesaid alternatives should be stated with regard to mithyadrishti (having wrong perception/faith). [3] Eighty aforesaid alternatives should be stated with regard to samyagmithyadrishti (having right-wrong or mixed perception/faith). आठवाँ : ज्ञान द्वार EIGHT : JNANA
२२. [प्र. ] इमीसे णं भंते ! जाव किं णाणी, अण्णाणी ? [उ. ] गोयमा ! णाणी वि, अण्णाणी वि। तिण्णि नाणाणि नियमा, तिण्णि अण्णाणाई भयणाए। २३. [प्र. १ ] इमीसे णं भंते ! जाव आभिणिबोहियणाणे वट्टमाणा० ? [उ. ] सत्तावीसं भंगा। [ २ ] एवं तिण्णि णाणाई, तिण्णि य अण्णाणाइं भाणियव्वाई।
२२. [प्र. ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में रहने वाले नारक जीव क्या ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ? ॐ [उ. ] गौतम ! उनमें ज्ञानी भी हैं, और अज्ञानी भी हैं। जो ज्ञानी हैं, उनमें नियमपूर्वक तीन ज्ञान # होते हैं, और जो अज्ञानी हैं, उनमें तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से होते हैं।
२३. [प्र. १ ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में रहने वाले आभिनिबोधिक ज्ञानी (मतिज्ञानी) नारकी जीव क्या क्रोधोपयुक्त यावत् लोभोपयुक्त होते हैं? ॐ [उ. ] गौतम ! उन नारकों के क्रोधोपयुक्त आदि २७ भंग कहने चाहिए। [ २ ] इसी प्रकार तीनों ज्ञान वाले तथा तीनों अज्ञान वाले नारकों में क्रोधोपयुक्त आदि २७ भंग कहने चाहिए।
22. (Q.) Bhante ! Are the infernal beings living in this Ratnaprabha 4 prithvi jnani (having right knowledge) or ajnani (having false
knowledge)?
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भगवतीसूत्र (१)
(130)
Bhagavati Sutra (1)
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