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छठा : लेश्या द्वार SIXTH LESHYA
१८. [ प्र. ] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयाणं कति लेसाओ पण्णत्ताओ ?
[उ.] गोयमा ! एक्का काउलेस्सा पण्णत्ता ।
१९. [ प्र. ] इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव काउलेस्साए वट्टमाणा० ?
[ उ. ] सत्तावीसं भंगा।
१८. [ प्र. ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले नैरयिकों में कितनी लेश्याएँ हैं ? [उ.] गौतम ! उनमें केवल एक कापोतलेश्या है।
१९. [ प्र. ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले कापोतलेश्या वाले नारक जीव क्या क्रोधोपयुक्त हैं, यावत् लोभोपयुक्त हैं ?
[उ.] गौतम ! इनके भी सत्ताईस भंग कहने चाहिए।
18. [Q.] Bhante ! How many Leshyas (complexions of soul) the infernal beings living in this Ratnaprabha prithvi are said to have?
[Ans.] Gautam ! They only have one, the Kapot leshya (pigeon-like complexion).
19. [Q.] Bhante ! Do the infernal beings having Kapot leshya (pigeon complexion) living in this Ratnaprabha prithvi have inclination of anger (krodhopayukta), ... and so on up to ... inclination of greed (lobhopayukta ) ?
[Ans.] Gautam ! For these too twenty seven aforesaid alternatives should be stated.
सातवाँ दृष्टि द्वार SEVENTH DRISHTI
:
२०. [प्र.] इमीसे णं जाव किं सम्मद्दिट्ठी मिच्छद्दिट्ठी सम्मामिच्छद्दिट्ठी ?
[ उ. ] तिण्णि वि।
२१. [प्र.१] इमीसे णं जाव सम्मद्दंसणे वट्टमाणा नेरइया० ?
[उ. ] सत्तावीसं भंगा। [ २ ] एवं मिच्छदंसणे वि । [ ३ ] सम्मामिच्छद्दंसणे असीति भंगा।
२०. [ प्र. ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले नारक जीव क्या सम्यग्दृष्टि हैं, मिथ्यादृष्टि हैं, या सम्यग्मिथ्यादृष्टि (मिश्र दृष्टि ) हैं ?
[उ. ] हे गौतम! वे तीनों प्रकार के हैं।
२१. [ प्र. १ ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले सम्यग्दृष्टि नारक क्या क्रोधोपयुक्त यावत् लोभोपयुक्त हैं ?
प्रथम शतक : पंचम उद्देशक
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First Shatak: Fifth Lesson
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