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inclination of anger and many have that of greed (6) [six alternatives of a y combination of two]. Or many have inclination of anger, one has that of conceit and one has that of deceit (1), or many have inclination of anger,
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one has that of conceit and many have that of deceit (2), or many have y inclination of anger, many have that of conceit and one has that of deceit 4 (3), or many have inclination of anger, many have that of conceit and y many have that of deceit (4). In the same way four alternatives each of y combinations of three, anger-conceit-greed and anger-deceit-greed, should be repeated [twelve alternatives of a combination of three]. After Y that eight alternatives of a combination of four (anger, conceit, deceit and greed) should be repeated. Thus inclusive of anger, all these add up y to a total of 27 alternatives.
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९. [ प्र. ] इमीसे णं भंते ! रयणप्यभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि समयाधियाए जहन्नद्वितीए वट्टमाणा नेरइया किं कोधोवउत्ता, माणोवउत्ता, मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?
[उ. ] गोयमा ! कोहोवउत्ते य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य लोभोवउत्ते य ४। कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवउत्ता य लोभोवउत्ता य ८ अहवा कोहोवउत्ते य माणोवउत्ते य १०, अहवा५ कोहोवउत्ते य माणोवउत्ता य १२, एवं असीति भंगा नेयव्वा एवं जाव संखिज्जसमयाहया टिई। असंखेज्जसमाहयाए टिईए तप्पाउग्गुक्कोसियाए ठिईए सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा ।
९. [ प्र. ] इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से एक-एक नारकावास में एक समय अधिक जघन्य स्थिति में वर्तमान नारक क्या क्रोधोपयुक्त होते हैं, मानोपयुक्त होते हैं, मायोपयुक्त होते हैं 5 अथवा लोभोपयुक्त होते हैं ?
[उ.] गौतम ! उनमें से कोई-कोई क्रोधी, कोई मानी, कोई मायी और कोई लोभी होता है । अथवा बहुत से क्रोधी, मान, मायी और लोभी होते हैं । अथवा कोई-कोई क्रोधी और मानी होता है, या कोई ५ कोई क्रोधी और बहुत से मानी होते हैं । [ अथवा बहुत से क्रोधी और एक मानी या बहुत से क्रोधी और बहुत से मानी होते हैं ।] इत्यादि प्रकार से अस्सी भंग समझने चाहिए । इसी प्रकार यावत् दो समय अधिक जघन्य स्थिति से लेकर संख्येय समयाधिक जघन्य स्थिति वाले नैरयिकों के लिए समझना 4 चाहिए। असंख्येय समयाधिक स्थिति वालों में तथा उसके योग्य उत्कृष्ट स्थिति वाले नारकों में सत्ताईस भंग कहने चाहिए।
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9. [Q.] Bhante ! Do the infernal beings with one Samaya more than minimum life-span living in each one of the thirty hundred thousand infernal abodes in this Ratnaprabha prithvi have inclination of anger F (krodhopayukta), inclination of conceit (maanopayukta), inclination of fi deceit (maayopayukta) and inclination of greed (lobhopayukta) ?
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F प्रथम शतक : पंचम उद्देशक
First Shatak: Fifth Lesson
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